ऑपरेशन त्रिनेत्र का असर: अमरोहा पुलिस की बड़ी कार्रवाई, अन्तर्राज्यीय टप्पेबाज गिरोह बेनकाब

Aanchalik Khabre
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ऑपरेशन त्रिनेत्र

उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष अभियान “ऑपरेशन त्रिनेत्र” के तहत अपराधियों पर कसी जा रही शिकंजा लगातार रंग ला रहा है। इस कड़ी में अमरोहा पुलिस की गजरौला पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक अन्तर्राज्यीय टप्पेबाज गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक महिला भी शामिल है।

यह गिरोह कई राज्यों—विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में सक्रिय था और विशेष रूप से सर्राफा दुकानों को निशाना बनाकर चोरी की वारदातों को अंजाम देता था। चोरी का इनका तरीका इतना शातिर और योजनाबद्ध था कि दुकानदारों को अक्सर काफी देर बाद चोरी का एहसास होता।

तकनीक बनी हथियार, सीसीटीवी बना गवाह

गजरौला थाना प्रभारी अखिलेश प्रधान के नेतृत्व में एसओजी और सर्विलांस टीम ने मिलकर लगभग 450 सीसीटीवी फुटेज का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया। कई दिनों की निगरानी और तकनीकी सहायता की बदौलत गिरोह की पहचान और गतिविधियों का पूरा नेटवर्क सामने आया। गिरोह के सदस्यों ने जयपुर, बुलन्दशहर और गजरौला जैसे शहरों में सुनियोजित ढंग से टप्पेबाजी की घटनाएं की थीं।

लाखों की बरामदगी और संगठित गिरोह की पोल

पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से लगभग 60 ग्राम सोना (अनुमानित मूल्य ₹6 लाख), 3 मोबाइल फोन, एक इलेक्ट्रॉनिक कांटा और चोरी की घटनाओं में प्रयुक्त ब्रेज़ा कार (DL9CAV5188) बरामद की गई है।

पुलिस टीम को सम्मान, जनता का बढ़ा भरोसा
इस सराहनीय कार्रवाई के लिए गजरौला थाना प्रभारी को ₹15,000 का नकद पुरस्कार दिया गया। एसपी अमित कुमार आनंद ने पूरी टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि अमरोहा पुलिस न केवल सतर्क है, बल्कि तकनीकी संसाधनों से भी सुसज्जित है और अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।

ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत की गई इस कार्रवाई ने न केवल अमरोहा बल्कि आसपास के जनपदों में भी आमजन का पुलिस पर विश्वास बढ़ाया है। यह स्पष्ट संकेत है कि अपराध चाहे जितना भी योजनाबद्ध और अन्तर्राज्यीय अपराधी गिरोह द्वारा क्यों न किया गया हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता।

1. ऑपरेशन त्रिनेत्र क्या है?

ऑपरेशन त्रिनेत्र उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित एक विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्य अपराध पर निगरानी और त्वरित कार्रवाई के लिए सीसीटीवी निगरानी नेटवर्क का निर्माण करना है। इसका नाम ‘त्रिनेत्र’ (तीसरी आँख) इस बात को इंगित करता है कि पुलिस अब हर गली, चौराहे और बाजार पर अपनी डिजिटल निगाह रखे हुए है।

2. इसकी शुरुआत कैसे हुई?

ऑपरेशन त्रिनेत्र की शुरुआत गोरखपुर जिले से की गई थी। यहां जनसहयोग से हजारों सीसीटीवी कैमरे विभिन्न सार्वजनिक और संवेदनशील स्थानों पर लगाए गए। इस मॉडल की सफलता को देखते हुए इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया।

3. तकनीकी आधार: कैमरों का विशाल नेटवर्क

सरकार की रिपोर्ट के अनुसार अब तक पूरे प्रदेश में 3,21,635 स्थानों पर 7,22,161 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं। ऑपरेशन त्रिनेत्र के इन कैमरों के माध्यम से पुलिस को हर क्षेत्र में रियल टाइम निगरानी और अपराध के बाद फुटेज का विश्लेषण करने की सुविधा मिल रही है।

4. जनसहयोग बना अभियान की ताकत

ऑपरेशन त्रिनेत्र की खास बात यह है कि इसमें जनता की भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है। कई जिलों में व्यापारियों, हाउसिंग सोसाइटियों, संस्थाओं और सामान्य नागरिकों ने अपने भवनों और प्रतिष्ठानों पर कैमरे लगवाकर पुलिस को अपनी फीड साझा की।

5. कैसे करता है काम?

ऑपरेशन त्रिनेत्र की कार्यप्रणाली निम्नलिखित चरणों में होती है:

संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान

सीसीटीवी कैमरों की स्थापना

लाइव निगरानी (थानों और कंट्रोल रूम से)

अपराध होने पर फुटेज विश्लेषण

आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

6. जिलों में सफलता की झलक

ऑपरेशन त्रिनेत्र के अंतर्गत विभिन्न जिलों में उल्लेखनीय सफलता मिली है:

वाराणसी:

5 महीने में 12 दुष्कर्म/छेड़खानी

179 चोरी व नकबजनी

70 अन्य अपराधों का सफल खुलासा

गोरखपुर:

100 घटनाएं हल कीं, जिनमें डकैती, हत्या, अपहरण और दुष्कर्म के प्रमुख मामले शामिल हैं।

आगरा, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर:

आगरा जोन ने 68 प्रमुख अपराध

गाजियाबाद पुलिस ने 15 डकैती/लूट

गौतमबुद्धनगर ने 43 हत्या/चोरी के मामलों को सुलझाया

7. अपराधियों पर कसा शिकंजा

ऑपरेशन त्रिनेत्र की मदद से कई गिरोहों का पर्दाफाश हुआ है। जैसे कि अमरोहा पुलिस द्वारा पकड़ा गया टप्पेबाज गिरोह, जिसमें 450 सीसीटीवी फुटेज की मदद से 6 लाख के जेवरात बरामद किए गए।

8. न्याय में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई

ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत मिले सीसीटीवी फुटेज की सहायता से न केवल अपराधी पकड़े जा रहे हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी आई है। पुलिस के पास अब पुख्ता सबूत होते हैं जो आरोपियों के खिलाफ मजबूत केस बनाने में मददगार साबित हो रहे हैं।

9. भविष्य की दिशा

सरकार और पुलिस विभाग ऑपरेशन त्रिनेत्र को और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। भविष्य में इसमें फेस रिकग्निशन, एआई आधारित अलर्ट सिस्टम, और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) जैसी तकनीकों को जोड़े जाने की योजना है।

10. जनता का विश्वास, पुलिस की नई पहचान

ऑपरेशन त्रिनेत्र ने जनता और पुलिस के बीच विश्वास की नई नींव रखी है। अब नागरिक स्वयं सुरक्षा व्यवस्था में भागीदार बन रहे हैं, और अपराधियों में डर का वातावरण बना है।

निष्कर्ष:

ऑपरेशन त्रिनेत्र केवल एक अभियान नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण की एक नई डिजिटल संस्कृति का प्रतीक बन चुका है। यह दर्शाता है कि जब तकनीक और जनसहयोग को पुलिस की तत्परता से जोड़ा जाए, तो समाज को सुरक्षित बनाया जा सकता है। अमरोहा पुलिस की इस कार्रवाई ने यह प्रमाणित कर दिया है कि ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत कोई भी अपराधी कानून की पकड़ से नहीं बच सकता।

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