राजेंद्र राठौर
प्रधान जिला न्यायाधीश मोहम्मद सैय्यदुल अबरार के निर्देशानुसार मुख्य न्यायिक मजिस्टेट श्रीमान गौतम सिंह मरकाम की अध्यक्षता एवं न्यायिक मजिस्टेट श्रीमान विजय पाल सिंह चैहान, सुश्री साक्षी मसीह एवं जिला विधिक सहायता अधिकारी सागर अग्रवाल की उपस्थिति में जिला जेल झाबुआ में महिला एवं पुरूष बंदियों के लिए विधिक साक्षरता शिविर एवं जेल निरीक्षण का आयोजन किया गया। शिविर में मरकान ने बताया कि प्लीबारगेनिंग दाण्डिक मामले का समझौते के आधार पर अंतिम निराकरण के लिए एक उपबंध है यदि कोई अभियुक्त जिसके विरूद्ध न्यायालय में कोई मामला चल रहा है और 18 वर्ष की उम्र से अधिक है तथा ऐसा मामला 7 वर्ष से अधिक कारावास से दंडनीय न हो तथा महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध न हो देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाला न हो ऐसे मामलों में अभियुक्त प्लीबारगेनिंग प्रक्रिया का लाभ उठा सकता है। उन्होंने बताया कि इसका लाभ यह है कि अभियुक्त अपराध के लिए निर्धारित दण्ड की अधिकतम सजा में से एक चैथाई सजा से दंडित किया जाएगा। शिविर में न्यायिक मजिस्टेट विजय पाल सिंह चैहान ने जानकारी देते हुए बताया कि जेल सजा काटने का स्थान नहीं वरन पश्चाताप हेतु आत्मचिंतन का स्थान है। यहां बंदियों द्वारा अतीत में जाने अनजाने किए गए अपराध का पश्चाताप करें और अपने वर्तमान को संभाले। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार किसी भी बंदी को न्याय पाने का निःशुल्क, विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है चाहे वह विचाराधीन बंदी हो या सजायाफ्ता हो।
शिविर में सुश्री साक्षी मसीह ने बंदियों के प्रकरणों में नियुक्त किए जाने वाले पैनल लायर्स द्वारा की गई पैरवी के संबंध में बंदियों से जानकारी ली तथा उन्हें निःशुल्क और सक्षम विधिक सलाह और सहायता प्राप्त करने के अधिकार के बारे में जानकारी दी।जेल में बंदियों से उनके प्रकरणों एवं अन्य समस्याओं के नियमानुसार शीघ्र निराकरण का आश्वासन दिया गया। न्यायाधीशों द्वारा बंदियों से उन्हें जेल में मिल रहीं सुविधाओं की जानकारी ली गई। साथ ही बंदियों के जेल में नैतिक कर्तव्य जेल में आपस में मिलजुल कर रहना, साफ-सफाई रखना, जेल प्रशासन का सहयोग करना तथा जेल से रिहा होकर अन्य लोगों को भी अपराध से रोकने में सहयोग करने तथा ऐसा कार्य न करें जिससे की दोबारा जेल आना पड़े की बात कई गई एवं जेल से रिहा होने के पश्चात् अपराध से मुक्त होकर समाज की मुख्यधारा से पुनः जुड़ने हेतु प्रेरित किया गया।शिविर में महिलाओं को उनके मुकदमे की पैरवी के लिए निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराए जाने हेतु पूछा गया। सभी महिला बंदियों द्वारा बताया कि उनके मुकदमे की पैरवी हेतु अधिवक्ता नामित है। शिविर में महिलाओं से खानपान आदि के बारे में पूछा गया सभी के द्वारा अनुकूल उत्तर दिया गया। वर्तमान में जिला कारागार में 12 महिलाऐं व उनके साथ 1 बच्चा निरूद्ध है। न्यायाधीशगणों ने बैरको में पहुंचकर बंदियों से रूबरू होते हुए उनके जेल मे होने का कारण, जेल में होने की अवधि, उनके स्वास्थ्य, भोजन, पेयजल, साफ-सफाई आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त की। जिला न्यायालय परिसर झाबुआ स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में संचालित लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिप्टी रूपेश शर्मा, असिस्टेंट शिवम वर्मा एवं विश्वास शाह ने बताया कि ऐसे कैदी जो किसी भी प्रकार की अभिरक्षा में है यदि वे अपना अधिवक्ता नियुक्त करने में असमर्थ हैतथा अपनी प्रतिरक्षा नही कर पा रहें है ऐसे कैदियों के लिए डिफेंस काउंसील की टीम द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जायेगी तथा उनकी ओर से पूरे मामले कीपैरवी भी निःशुल्क रूप से डिफेंस काउंसलिं द्वारा किया जावेगा। कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी सागर अग्रवाल द्वारा किया गया।उक्त शिविर में जेल अधीक्षक दुष्यंत पगारे, उप अधीक्षक राजेश विश्वकर्मा एवं स्टाफ उपस्थित रहें।