शांत पहाड़ों की वादियों में गूंजा चीख-पुकार का शोर… जहाँ कल तक सैलानी हँसी-खुशी से घूमते थे, वहाँ आज खून बिखरा पड़ा है। पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ कहा जाता है, मंगलवार को दक्षिण कश्मीर की सबसे बड़ी आतंकी घटना का गवाह बन गया। अमरनाथ यात्रा की तैयारियों के बीच यह हमला, पूरे देश को झकझोर गया है।
Terror Attack in Jammu Kashmir’s Pahalgam – बायसरन में मौत का नंगा नाच
श्रीनगर से 90 किलोमीटर दूर, पहलगाम की खूबसूरत वादियों के बीच बसे बायसरन घाटी में मंगलवार दोपहर आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया। इस जगह तक पहुंचना आसान नहीं, सिर्फ खच्चरों या पैदल रास्तों से ही पहुँचा जा सकता है। यही दुर्गमता आतंकियों के लिए ढाल बनी।
Pahalgam में Tourist पर Uniform में आये आतंकियों ने बरसाईं गोलियां
करीब दोपहर 3 बजे, सेना की वर्दी पहने 5 आतंकवादी देवदार के घने जंगलों से निकले और पर्यटकों से पहचान पत्र मांगने लगे। पहचान के नाम पर धर्म देखा गया — और फिर शुरू हुई मौत की गोलीबारी। जो हिंदू निकले, उन्हें निशाना बनाकर मार डाला गया। चीख-पुकार के बीच कई लोग पेड़ों के पीछे छुपकर अपनी जान बचा पाए।
Pahalgam Terror Attack
Pahalgam Terror Attack घटना के समय पर्यटक पिकनिक मना रहे थे। कुछ मैदान में बैठे थे, कुछ खच्चरों पर ट्रैकिंग के लिए जा रहे थे। कुछ भेलपुरी खा रहे थे। किसी को अंदेशा भी नहीं था कि अगले ही पल उनके जीवन की सबसे भयावह घड़ी आने वाली है।
आतंकी कौन थे और कहाँ से आए थे? Terrorist Attack in Kashmir: TRF ने ली जिम्मेदारी
इस जघन्य हमले की जिम्मेदारी ली है The Resistance Front (TRF) ने, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही सहयोगी संगठन है। यह हमला पहले से योजनाबद्ध था। बताया जा रहा है कि आतंकी किश्तवाड़ होते हुए कोकरनाग से बायसरन पहुंचे थे। TRF के सरगना शेख सज्जाद गुल की निगरानी में इस हमले की साजिश रची गई।
हमले के बाद आतंकी कहाँ गए?
पहाड़ों की आड़ में गायब हुए कातिल
घटना के तुरंत बाद आतंकी पहाड़ियों की ओर भाग निकले। जब तक सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे, तब तक आतंकी घने जंगलों में गायब हो चुके थे। अब तक किसी के मारे जाने या पकड़े जाने की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
कैसा चला बचाव अभियान?
Jammu Kashmir Pahalgam Terror Attack के बाद चला रेस्क्यू ऑपरेशन, हमले के बाद सेना Alert पर
सुरक्षा बलों के पहुंचने तक स्थानीय लोग ही मसीहा बने। खच्चरों और कंधों के सहारे घायलों को मुख्य मार्ग तक लाया गया। कुछ को हेलीकॉप्टर से श्रीनगर भेजा गया। कई टूर गाइड्स और खच्चर चालकों ने जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाया।
हमले का समय और उसकी अहमियत, Terrorist Attack in Kashmir: Timing और Symbolism
3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। यह हमला यात्रा के बेस कैंप से मात्र 15 किलोमीटर दूर हुआ।
इसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब दौरे पर हैं और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में हैं।
यह हमला 2000 के अमरनाथ बेस कैंप हमले के बाद सबसे खतरनाक माना जा रहा है।
आतंकियों का संदेश साफ है — डर फैलाओ, पर्यटकों को रोकों और अमन में ज़हर घोलो।
26 मौतें, कई ज़ख्मी: इंसानियत शर्मसार, Terror Attack in Pahalgam: सिर्फ एक हमला नहीं, कश्मीरियत पर हमला
इस हमले में 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें कुछ विदेशी सैलानी भी शामिल हैं। यह केवल एक हमला नहीं, यह कश्मीर की शांति, पर्यटन और कश्मीरियत पर सीधा हमला है।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं, Jammu Kashmir Pahalgam Terror Attack पर देश की आवाज़
पीएम मोदी: “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा… उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा।”
गृह मंत्री अमित शाह: “इस कायराना हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। कठोरतम कार्रवाई होगी।”
राहुल गांधी: “सरकार को जवाबदेही लेनी चाहिए, सिर्फ दावा नहीं।”
इल्तिजा मुफ्ती: “ये हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, बल्कि हर कश्मीरी पर हमला है।”
क्या अब भी हम चुप रहेंगे?, Pahalgam Attack: आतंक को जवाब कब मिलेगा?
क्या ये आतंकियों की आखिरी कायरता होगी या एक और शुरुआत? क्या सरकार जमीनी हकीकत को मानेगी या सिर्फ बयानबाज़ी चलेगी? पहलगाम की वादियां आज भी इंतज़ार कर रही हैं — शांति के उस पल की, जब डर नहीं होगा, सिर्फ जीवन होगा
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