अजेन्द्र कुमार की रिपोर्ट
हाथरस। बीएलएस स्कूल प्रबंधन को अपनी गलती का अहसास नहीं है। वहीं अब प्रबंधन उल्टे अभिभावको पर स्कूल ही छवि धूमिल करने का आरोप लगा रहा है। स्कूल की उप प्रधानाचार्य ने अपने पक्ष में घटना को अलग रूप देते हुए विरोध करने वालों को ही लपेटना शुरू कर दिया है।
आपको बताते हैं की स्कूल की उप प्रधानाचार्य प्रबंधन की ओर से क्या कहती हैं। उन्होंने बताया है की स्कूल में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से भारतीय पर्व तथा अन्य ऐतिहासिक और भौगोलिक जानकारियों से अवगत कराने के लिए गीत-गायन, नृत्य तथा नाटक आदि के आयोजन किए जाते हैं। इसी क्रम में 18 अप्रैल 2023 को विश्व धरोहर दिवस (World Heritage day) तथा ईद उल फितर की थीम पर स्पेशल एसेंबली का आयोजन कराया गया। इस स्पेशल एसेंबली में विद्यार्थियों ने विश्व भर की धरोहरों तथा महान व्यक्तित्वों से सभी को अवगत कराने के लिए शिवाजी महाराज, फातिमा शेख, सिंबल ऑफ डेमोक्रेसी कैथेड्रल वर्च, ताजमहल, एलीफेंटा की गुफाएं आदि का किरदार निभाया तथा फिल्म रोड टू संगम के गीत लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी…’ पर गायन की प्रस्तुति दी और अभिनय भी किया परंतु कुछ लोगों ने इस गीत को फातिहा’ अथवा नमाज’ का नाम देते हुए लोगों को भ्रमित करने का प्रयास किया और विद्यालय में धार्मिक गतिविधियां संचालित कराने की झूठी अफवाह उड़ाई। जैसा कि कहा जा रहा है कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं से फातिहा अथवा नमाज पड़वाई गई वैसा बिल्कुल भी नहीं है। विद्यालय इस बात का पूर्णतः खंडन करता है। वहीं आरोप लगाया की यह सब कुछ लोगों द्वारा विद्यालय की छवि को खराब करने की निरर्थक साजिश के तहत किया गया। जबकि
दूसरी ओर प्रबंधन प्रधानाचार्या सोनिया मैक फर्सन सहित दो शिक्षकों को को तत्काल प्रभाव से पद से निलंबित कर देने का दावा भी कर रहा है। सही शब्दों में कहें तो पहले चोरी और फिर सीना जोरी की कहावत सामने आ रही है। इतनी बड़ी घटना में अभिभावक गणों को ही झूठा साबित किया जा रहा है। क्या अभिभावक की भावनायें कहीं जगह नहीं रखती चाहे मामला मनमानी फीस का हो या किताबों या ड्रेस में कमीशन का या फिर शिक्षा के नाम पर संस्कृति और सामाजिकता के साथ खिलवाड़ का, वो भी तब जब प्रदेश का माहौल काफ़ी विपरीत हैं। शांति और गंभीरता के साथ काम करने की आवश्यकता है।