नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत की आर्थिक प्रगति पर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत आज 7-8% की विकास दर बनाए हुए है, जबकि दुनिया भर में आर्थिक चुनौतियाँ, संरक्षणवादी नीतियाँ और टैरिफ बढ़ोतरी जैसी बाधाएँ खड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच से साफ कहा कि “आर्थिक स्वार्थ” के चलते बड़े देश छोटे और विकासशील राष्ट्रों पर दबाव डाल रहे हैं।
भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था
भारत इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। 7-8% की GDP वृद्धि दर इस बात का प्रमाण है कि घरेलू उपभोग, निवेश और सरकारी नीतियाँ सही दिशा में काम कर रही हैं। पीएम मोदी का कहना है कि यह विकास केवल आंकड़ों में नहीं बल्कि वास्तविक जीवन में भी नजर आता है—चाहे वह आधारभूत संरचना का विस्तार हो, डिजिटल क्रांति हो या रोजगार के अवसर।
वैश्विक चुनौतियाँ और भारत की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्व अर्थव्यवस्था वर्तमान में “इकॉनॉमिक सेल्फिशनेस” यानी आर्थिक स्वार्थ के दौर से गुजर रही है। कई देश अपने-अपने हितों के लिए टैरिफ लगा रहे हैं और वैश्विक सप्लाई चेन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसका असर विकासशील देशों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है।
भारत ने इन चुनौतियों का सामना आत्मनिर्भर भारत अभियान, मेक इन इंडिया, और निर्यात-आधारित नीतियों के जरिए किया है। सरकार का मानना है कि जब तक भारत खुद पर भरोसा करेगा और आंतरिक मांग को बढ़ाएगा, तब तक बाहरी दबावों का असर सीमित रहेगा।
टैरिफ नीतियों पर पीएम मोदी का तंज
प्रधानमंत्री ने वैश्विक टैरिफ नीतियों को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब शक्तिशाली देश अपनी सुरक्षा या आर्थिक लाभ के लिए आयात-निर्यात पर पाबंदी लगाते हैं, तो इसका खामियाजा विकासशील देशों को उठाना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, कई देशों ने हाल के वर्षों में कृषि और तकनीकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाया है, जिससे व्यापार संतुलन बिगड़ा है।
भारत ने हमेशा मुक्त और निष्पक्ष व्यापार का समर्थन किया है। मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था तभी टिकाऊ होगी, जब सबके हितों का ध्यान रखा जाएगा।
निवेश और रोजगार पर असर
7-8% की विकास दर के चलते भारत वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, टेक्नोलॉजी हब और सर्विस सेक्टर में निवेश कर रही हैं। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का अनुभव मिल रहा है।
डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाएँ विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर रही हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत अपनी मौजूदा विकास दर बनाए रखता है, तो अगले दशक में यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में निवेश और सुधार जारी रहे।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश इस संदर्भ में स्पष्ट है—भारत केवल अपनी आर्थिक प्रगति के लिए ही नहीं बल्कि वैश्विक संतुलन के लिए भी जिम्मेदारी निभा रहा है।
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