पंजाब, जिसे कभी देश का “अन्नदाता” कहा जाता था, आज भयानक बाढ़ की चपेट में है। लगातार मूसलाधार बारिश ने तीन दशकों में सबसे भीषण बाढ़ ला दी है, जिससे हज़ारों गाँव डूब गए और लाखों किसान बर्बादी का सामना कर रहे हैं।
क्या हुआ है?
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी भारत और पाकिस्तान में अनवरत बारिश ने भयंकर बाढ़ को जन्म दिया। पंजाब में धान, कपास और गन्ने की विशाल खेती, जो कटाई के लिए लगभग तैयार थी, पूरी तरह पानी में डूब गई है। कई जगहों पर पाँच फीट तक पानी भर गया है। गाँव जलमग्न हैं, मवेशी डूब रहे हैं और किसान छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
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अब तक करीब 2,000 गाँव प्रभावित हुए हैं।
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43 से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं।
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लगभग 1.7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है।
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4 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित, जिनमें से 22,000 को सुरक्षित निकाला गया।
राहत और बचाव कार्य
पंजाब सरकार ने बड़े पैमाने पर राहत अभियान शुरू किया है:
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22,000 से अधिक लोगों को बचाकर 200 राहत शिविरों में पहुँचाया गया।
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24 एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम बचाव कार्य में लगी हैं।
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मिल्कफेड पंजाब (वेरका) ने प्रभावित इलाकों में लोगों और मवेशियों को सहायता पहुँचानी शुरू की।
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किसान संगठनों ने फिलहाल सूखा राशन भेजना रोकने की अपील की है और लंबी अवधि के उपायों जैसे बीज, डीज़ल, पशुचारे और रोग नियंत्रण पर ध्यान देने की मांग की है।
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संयुक्त किसान मोर्चा ने बाँधों से पानी छोड़ने में गड़बड़ी की जाँच के लिए न्यायिक जांच की माँग उठाई है।
राजनीतिक और आर्थिक असर
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है और 60,000 करोड़ रुपये की लंबित राहत राशि जारी करने की मांग की है। उन्होंने फसल नुकसान पर मुआवज़ा राशि ₹6,800 प्रति एकड़ से बढ़ाकर ₹50,000 प्रति एकड़ करने की भी सिफारिश की।
विपक्षी दल भी सक्रिय हो गए हैं:
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शिअद (अकाली दल) ने किसानों के कर्ज़ माफ करने और तुरंत मुआवज़ा देने की मांग की है।
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लुधियाना MSME फोरम ने ₹1 लाख करोड़ का राहत पैकेज माँगा है ताकि कृषि, डेयरी और उद्योग को हुए नुकसान की भरपाई हो सके।
क्यों है यह गंभीर?
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ये बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका पर संकट है।
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पंजाब की पहचान “अन्नदाता राज्य” के रूप में गहरी चोट झेल रही है।
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नष्ट हुई फसलें, उजड़े घर और ढहा हुआ बुनियादी ढांचा यह दिखाता है कि अब आपदा प्रबंधन और जल संसाधन नियंत्रण पर गंभीर सुधार की ज़रूरत है।
आगे की राह
पंजाब को केवल तात्कालिक मदद से ज़्यादा की ज़रूरत है।
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लंबी अवधि के मुआवज़े और पुनर्वास योजनाएँ लागू करनी होंगी।
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बाढ़-रोधी बुनियादी ढाँचा और बाँध प्रबंधन को पारदर्शी और मज़बूत बनाना होगा।
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किसानों के लिए बीज, उर्वरक, पशुचारा और वित्तीय सहायता सुनिश्चित करनी होगी।
पंजाब के किसान केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई और स्थायी सहायता चाहते हैं।