नई दिल्ली, 4 सितंबर 2025
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिनमें ट्रंप ने भारत और चीन पर ऊँचे टैरिफ़ लगाकर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई थी। पुतिन ने साफ कहा कि “India और China जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से उपनिवेशवादी अंदाज में बात नहीं की जा सकती। यह दौर अब खत्म हो चुका है।”
पुतिन का ट्रंप को दो टूक संदेश
बीजिंग में आयोजित युद्ध विजय दिवस की सैन्य परेड और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के बाद मीडिया से बातचीत में पुतिन ने कहा कि अमेरिका की यह सोच गलत है कि ऊँचे टैरिफ़ लगाकर भारत और चीन को झुकाया जा सकता है।
उन्होंने कहा –
“भारत और चीन केवल साझेदार नहीं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से हैं। आप उन पर दबाव डालकर कुछ हासिल नहीं कर सकते। उन्हें बराबरी का सम्मान देना होगा।”
पुतिन ने आगे जोड़ा कि इतिहास गवाह है कि जब भी किसी नेता ने अपनी जनता के सामने कमजोर दिखने की कोशिश की है, उसका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ गया है।
अमेरिका के टैरिफ़ का भारत और चीन पर असर
हाल ही में अमेरिका ने भारत और चीन से आयातित कई उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ़ बढ़ा दिया है। इसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों और आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।
भारत ने इसे “अनुचित और एकतरफा कदम” बताते हुए कहा कि इससे वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित होगा। खास बात यह है कि भारत अभी भी रूस से कच्चा तेल बड़ी मात्रा में आयात कर रहा है, जिसे अमेरिका नापसंद करता है। इसके बावजूद भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोई समझौता नहीं किया।
पुतिन का संकेत: “उपनिवेशवादी सोच अब नहीं चलेगी”
रूसी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि पश्चिमी देशों को अब यह समझना होगा कि दुनिया बदल चुकी है। पुराने जमाने की राजनीति, जब एक देश आर्थिक दबाव बनाकर दूसरों पर अपनी शर्तें थोपता था, आज के युग में सफल नहीं हो सकती।
उनके अनुसार, “साझेदारी का मतलब सहयोग और सम्मान है, न कि धमकी और प्रतिबंध।”
भारत की भूमिका: संतुलन बनाए रखने की रणनीति
विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे विवाद में भारत की स्थिति सबसे अहम है। एक ओर भारत अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, वहीं दूसरी ओर रूस से ऊर्जा सहयोग और चीन के साथ व्यापारिक संबंध भी कायम रखे हुए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पुतिन और शी जिनपिंग दोनों से मुलाकात की। इन मुलाकातों का संदेश स्पष्ट है – भारत किसी एक धुरी पर निर्भर नहीं है बल्कि बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना चाहता है।
SCO सम्मेलन और नई कूटनीतिक तस्वीर
पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया है जब SCO शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस एक साथ मंच पर दिखाई दिए। यह तस्वीर पश्चिमी देशों के लिए स्पष्ट संदेश है कि एशियाई शक्तियाँ अब पहले से कहीं ज्यादा निकट आ रही हैं।
पुतिन का यह कहना कि “India और China को कमजोर नहीं दिखाया जा सकता” सीधे तौर पर यह दर्शाता है कि आने वाले वर्षों में अमेरिका और यूरोप को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा।
वैश्विक राजनीति पर असर
पुतिन के बयान के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक टकराव और गहरा सकता है। वहीं रूस और चीन के साथ भारत की निकटता बढ़ने की संभावना है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी संकेत मिलता है कि विश्व राजनीति अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां किसी भी महाशक्ति का दबदबा अकेले नहीं चलेगा।
Also Read This – पहाड़ से मैदान तक बारिश का कहर

