गुजरात के राजकोट में हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले मामले ने पूरे देश को हिला दिया है। राजकोट स्थित एक अस्पताल में महिलाओं के चेकअप के दौरान रिकॉर्ड किए गए वीडियो यूट्यूब और टेलीग्राम पर अपलोड किए जाने की घटना ने न केवल मरीजों की निजता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को भी उजागर किया है। इस गंभीर मामले की जांच में जुटी गुजरात पुलिस ने प्रयागराज, महाराष्ट्र के लातूर और सांगली से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान और पृष्ठभूमि:
चंद्रप्रकाश फूलचंद – प्रयागराज के मांडा का निवासी, मनरेगा मजदूर का बेटा, शादीशुदा और एक बेटी का पिता है।
प्रज्वल अशोक तेली – महाराष्ट्र के लातूर का निवासी, नीट की तैयारी कर रहा था।
प्रज राजेंद्र पाटिल – सांगली का रहने वाला और तेली का मित्र, लातूर में ही नीट की तैयारी में जुटा था।
कब और कैसे हुआ खुलासा:
मामला तब सामने आया जब राजकोट के एक मैटरनिटी हॉस्पिटल के चेकअप रूम के वीडियो यूट्यूब पर वायरल हुए। वीडियो में महिलाओं की निजता का उल्लंघन करते हुए उनकी जांच के दौरान की फुटेज दिखाई दे रही थी। इस घटना के बाद पुलिस ने तुरंत संज्ञान लिया और साइबर अपराध शाखा को जांच सौंपी गई। अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस उपायुक्त लवीना सिन्हा के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने तकनीकी सुरागों के आधार पर कार्रवाई की।
सीसीटीवी सिस्टम में सेंध: पुलिस जांच में पता चला कि कुछ हैकर्स ने अस्पताल के सीसीटीवी सिस्टम को हैक कर वहां से संवेदनशील फुटेज चुरा लिए थे।
फुटेज की बिक्री: आरोपी इन फुटेज को टेलीग्राम ग्रुप्स पर दो-दो हजार रुपये में बेचते थे। इसके लिए वे क्यूआर कोड का इस्तेमाल करते थे ताकि लेन-देन का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण न रहे।
वर्चुअल नंबर का प्रयोग: आपस में संपर्क के लिए आरोपी वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल करते थे, जिससे उनकी पहचान छुपी रह सके।
महाकुंभ के वीडियो: चंद्रप्रकाश के यूट्यूब चैनल पर महाकुंभ में स्नान करती महिलाओं के 55 से 60 वीडियो भी मिले हैं। इन वीडियो को अपलोड कर वह विज्ञापन के जरिए पैसे कमा रहा था।
नीट तैयारी के आड़ में अपराध: तेली और पाटिल एक-दूसरे के जानकार थे और लातूर में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। पढ़ाई के बहाने उन्होंने तकनीकी ज्ञान का दुरुपयोग किया।
अहमदाबाद पुलिस ने चंद्रप्रकाश को प्रयागराज से 19 फरवरी को दोपहर दो बजे के करीब गिरफ्तार किया। इसके बाद महाराष्ट्र से प्रज्वल अशोक तेली और प्रज राजेंद्र पाटिल को दबोचा गया। तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर 1 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस का मानना है कि आगे की पूछताछ में इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की भी पहचान हो सकती है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग: यूट्यूब और टेलीग्राम जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर आरोपी महिलाओं के निजी पलों को दुनिया के सामने लाकर उनका शोषण कर रहे थे।
तकनीकी ज्ञान का नकारात्मक प्रयोग: जहां एक ओर तकनीक का इस्तेमाल जीवन को आसान बनाने के लिए होता है, वहीं दूसरी ओर यह मामला दिखाता है कि गलत हाथों में तकनीक कितनी खतरनाक हो सकती है।
आर्थिक लालच ने बढ़ाया अपराध: महज कुछ हजार रुपये कमाने के लिए आरोपियों ने न केवल कानून तोड़ा, बल्कि मानवता की सारी सीमाएं लांघ दीं।
सीसीटीवी विक्रेताओं की जांच: पुलिस उन कंपनियों और व्यक्तियों की पड़ताल कर रही है, जिनसे अस्पताल ने सीसीटीवी सिस्टम खरीदा था। कहीं इसी दौरान सिस्टम में छेड़छाड़ तो नहीं हुई?
ऑनलाइन पेमेंट ट्रेल की जांच: क्यूआर कोड से हुए भुगतानों का ब्योरा खंगाला जा रहा है।
टेलीग्राम चैनल के सब्सक्राइबर्स: चैनल से जुड़े सभी ग्राहकों की पहचान की जा रही है ताकि खरीदारों तक भी पुलिस पहुंच सके।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की संभावना: मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अंतरराष्ट्रीय साइबर एजेंसियों से भी संपर्क कर रही है।
इस घटना ने समाज में गहरी चिंता पैदा कर दी है। अस्पताल जैसे भरोसेमंद स्थान पर इस तरह की घटना का होना न केवल मरीजों का विश्वास तोड़ता है, बल्कि पूरी चिकित्सा प्रणाली को सवालों के घेरे में ला खड़ा करता है। अगर दोषी साबित होते हैं तो आरोपियों को आईटी एक्ट, गोपनीयता उल्लंघन और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसी धाराओं के तहत कठोर सजा हो सकती है।
अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी सिस्टम को नियमित रूप से अपडेट करें।
पासवर्ड मजबूत और नियमित अंतराल पर बदलें।
नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए एंटी-वायरस और फायरवॉल का इस्तेमाल करें।
कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण दें।
संवेदनशील डेटा तक पहुंच सीमित रखें।
ऐसे मामलों में केवल पुलिस या सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं होती, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक रहना चाहिए। यदि कोई संदिग्ध लिंक या चैनल दिखाई दे, तो तुरंत संबंधित प्लेटफॉर्म और साइबर क्राइम सेल को सूचित करें। साथ ही, वीडियो साझा करने से पहले उसकी वैधता पर जरूर विचार करें।
राजकोट के मैटरनिटी हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही भी इस मामले में सामने आई है। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के फैसले की आलोचना हो रही है। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि कैमरे केवल सुरक्षा के लिए लगाए गए थे, लेकिन तकनीकी लापरवाही के कारण सिस्टम हैक हो गया।
महिलाओं की निजता और कानूनी अधिकार:
भारतीय संविधान हर नागरिक को निजता का अधिकार देता है। महिलाओं की गोपनीयता भंग करना न केवल कानूनी अपराध है बल्कि नैतिक रूप से भी निंदनीय है। इस तरह की घटनाएं महिलाओं को मानसिक आघात पहुंचाती हैं और उनके आत्मविश्वास को तोड़ती हैं।
कब तक महिलाएं अपने ही देश में असुरक्षित महसूस करती रहेंगी? तकनीक का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए हो या शोषण के लिए? यह सवाल केवल राजकोट ही नहीं, पूरे देश के सामने है। समय आ गया है कि हम सभी मिलकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ एकजुट हों और तकनीक के सकारात्मक उपयोग को प्रोत्साहित करें।
राजकोट अस्पताल वीडियो लीक मामला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि समाज के उस कड़वे सच को उजागर करता है जिसमें लालच, तकनीकी दुरुपयोग और लापरवाही ने मिलकर महिलाओं की गरिमा को तार-तार किया है। अब समय है कि पुलिस, समाज और तकनीकी कंपनियां मिलकर ऐसे अपराधों पर लगाम लगाएं ताकि भविष्य में कोई भी चंद्रप्रकाश, तेली या पाटिल महिलाओं की निजता से खिलवाड़ करने की हिम्मत न कर सके।