रुपये में गिरावट जारी: कारण और प्रभाव
आज का कारोबार रुपये के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। रुपये में गिरावट जारी रही और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यह 48 पैसे टूटकर 88.76 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि के कारण भारत के आईटी क्षेत्र से धन प्रेषण और संभावित इक्विटी बिकवाली की चिंताएं बढ़ गई हैं।
यह भारतीय मुद्रा पर दोहरी मार साबित हो रही है, विशेषकर ऐसे समय में जब विदेशी निवेश इस वर्ष पहले ही कमजोर है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.41 पर खुला और धीरे-धीरे डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की।
एच-1बी वीजा शुल्क और वैश्विक प्रभाव
विदेशी मुद्रा विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका का नया 1,00,000 डॉलर एच-1बी वीजा शुल्क भारतीय आईटी कंपनियों और निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। इससे अमेरिका से भारत को होने वाले धन प्रेषण में कमी आ सकती है और सेवा निर्यात प्रभावित हो सकता है।
इसके अलावा, वैश्विक जोखिम और व्यापारिक नीति की अनिश्चितता ने भी रुपये की कमजोरी को बढ़ावा दिया है। निवेशकों ने शेयर बाजार से 2,910 करोड़ रुपये की निकासी की, जिससे घरेलू वित्तीय बाजार पर दबाव और बढ़ गया।
घरेलू शेयर बाजार और आर्थिक संकेतक
इस बीच, सेंसेक्स 271.99 अंक गिरकर 81,887.98 पर और निफ्टी 80.65 अंक गिरकर 25,121.70 पर बंद हुआ। डॉलर की ताकत को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 97.38 पर रहा, जबकि ब्रेंट क्रूड 66.23 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक अमित पाबारी ने बताया कि वैश्विक नीतिगत झटके भारतीय वित्तीय बाजारों पर दबाव डाल रहे हैं और रुपये में गिरावट का सिलसिला अभी भी जारी रहने की संभावना है।
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