नई दिल्ली, 2 सितम्बर 2025
सीमा-पारी बैठी दो बहनों की कहानी पूरे भारत और पाकिस्तान में नागरिकता, पहचान और मानवाधिकार के जटिल सवाल खड़े कर रही है। इन बहनों ने आठ साल पहले पाकिस्तान की नागरिकता छोड़ दी थी, लेकिन अब वे किसी भी देश की नागरिक नहीं बन पाई हैं—और वह भी एक छोटे से दस्तावेज की कमी के कारण। इस रिपोर्ट ने इस स्थिति की संवेदनशीलता और कानूनी जटिलताओं को उजागर किया है।
पहचान की समस्या: कैसे बने स्टेटलेस?
बहनों ने पाकिस्तान उच्चायुक्त कार्यालय में अपना था पासपोर्ट सौंप दिया था। उस समय वे यह सोचकर आईं थीं कि भारत में उनका नागरिकता का काम जल्द से जल्द पूरा हो जाएगा। लेकिन, इस प्रक्रिया में एक अनिवार्य दस्तावेज—’अन्य प्रमाण-पत्र’—की कमी ने उन्हें इस limbo में छोड़ दिया। न तो वे भारत की नागरिक बन सकीं और न ही पाकिस्तान ने पुनः उन्हें स्वीकार किया। परिणाम—दोनों “स्टेटलेस” घोषित हो गईं। (यह वाक्य अनुमान और सरल व्याख्या पर आधारित है, क्योंकि प्रेस से विवरण उपलब्ध नहीं है)
कानूनी भूल और दस्तावेजों का जाल
स्टेटलेस यानी ‘बिना किसी देश के नागरिकता’ की स्थिति अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत एक गंभीर मामला समझी जाती है। संयुक्त राष्ट्र की स्टेटलेसनेस कन्वेंशन (1954) इसे एक वैश्विक समस्या मानती है।
दुर्भाग्यवश, यह मामला यह दिखाता है कि कैसे नागरिकता प्रक्रिया में किसी एक कागज की कमी—यहां एक औपचारिक दस्तावेज—पूरी पहचान और जीवन को प्रभावित कर सकता है।
भारत की नागरिकता अधिनियम और स्टेटलेसनेस
भारतीय नागरिकता कानून (Citizenship Act) और 2019 का संशोधन (CAA) विशेष धार्मिक अल्पसंख्यकों को राहत देने के लिए लागू हुआ, लेकिन इस मामले में बहनों को कोई राहत नहीं मिली क्योंकि उनकी स्थिति मूल नागरिकता धारियों की श्रेणी में नहीं आती।
CAA ने विशेष समुदायों—जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी—को तेजी से नागरिकता देने का मार्ग बनाया, लेकिन इस मामले में कानून की संरचना और प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं कि व्यक्ति छह या आठ वर्षों तक किस स्थिति में फंसे रहे।
मानवता और संवेदना का आह्वान
इन दो बहनों की स्थिति हमें याद दिलाती है कि नागरिकता केवल दस्तावेज़ों का खेल नहीं है—यह पहचान, सम्मान और जीवन फैसलों का आधार है।
यह मामला कानून के पेचीदा फ़्रेमवर्क से परे एक मानवीय संकट की ओर इशारा करता है—एक ऐसी स्थिति जहां सिस्टम, प्रक्रिया और शर्मनाक प्रशासनिक जटिलता ने दो इंसानों को महत्वपूर्ण अधिकारों से वंचित कर दिया।
Also Read This – शिवसेना नेता कमलेश राय