रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि तथा जागरुकता ही बचाव का तरीका-आंचलिक ख़बरें-मनोज कुमार द्विवेदी

Aanchalik Khabre
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कोरोना वायरस — विश्व के लिये एक बड़ी चुनौती.

( मनोज कुमार द्विवेदी ,अनूपपुर,म प्र)

अनूपपुर / कोविड -19 या कोरोना वायरस विश्व के सामने एक बडी चुनौती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने इसकी विकरालता को देखते हुए इसे महामारी घोषित किया है। प्लेग, स्माल पाक्स, हैजा, एच आई वी, एशियन फ्लू, स्वाईन फ्लू, इबोला दुनिया की कुछ बडी संक्रामक बीमारियाँ रही हैं। लेकिन कोरोना जिस तेजी से फैल रहा है ,उससे लाखों लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। इससे मानव जीवन खतरे में पड गया है। दूसरी ओर दुनिया की बडी अर्थ शक्तियों की अर्थ व्यवस्था बुरी तरह चरमराने की आशंका है। भारत में बचाव के तमाम तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसके बावजूद लोगों की लापरवाही के कारण संक्रमण बढता जा रहा है। दशा ऐसी ही रही तो सरकार को लाक डाऊन जैसा कठोर निर्णय भी लेना पड सकता है। विदेशी आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध भी संभव है। भारत सरकार ने कोरोना से ना डरने, सावधानी बरतने की लगातार अपील की है तथा केन्द्रीय मंत्रियों की प्रतिदिन दो समीक्षा बैठकें भी की जा रही हैं।
*जब – जब पृथ्वी मे मनुष्य के जीवन पर महामारी का खतरा मंडराया है , तब तब दुनिया ने एक बार पलट कर देवभूमि भारत की जीवन शैली की ओर जरुर देखा है। भारतीय जीवन पद्धति में पाश्चात्य प्रभाव के बावजूद आज भी वास्तविक खुशी के आन्तरिक तत्वों की तलाश की जाती है। उसे बचाए रखने, उसे सतत् परिष्कृत करने की कोशिश भी की जाती है। वैश्वीकरण तथा पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध से उलट भारत में आज भी एक वर्ग ऐसा है जो अपनी वैदिक, सनातनी परंपराओं को छोडने के लिये तैयार नहीं है। बल्कि अब सरकारें तथा कुछ समाजसेवी संस्थानों ने भी इसके संरक्षण, संवर्धन एवं प्रसार का बीडा उठा लिया है।
* विगत एक माह से कुछ अधिक समय से चीन के वूहान प्रांत से कोरोना वायरस का संक्रमण विश्व के बहुत से देशों में तेजी फैल गया है। चीन, ईरान, इटली, अमेरिका सहित 120 से अधिक देश इसकी चपेट में आ चुके हैं। मीडिया में जारी आंकड़ों के अनुसार दो लाख लोगों में इस वायरस के लक्षण देखे गये जबकि एक लाख लोग हल्के एवं सात हजार के करीब गंभीर पीड़ित हो चुके है। दुनिया भर में इस वायरस से दुखद तरीके से मरने वालों की संख्या आठ हजार से अधिक हो चुकी है। जबकि अच्छी खबर ये है कि अस्सी हजार से अधिक लोग इस संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं।
* भारत भी अन्य एशियाई देशों की तरह इस बीमारी का शिकार हो चुका है । यहाँ संक्रमित लोगों की संख्या डेढ सॊ से अधिक हो चुकी है। तीन लोगों ने दम तोड़ दिया है। एक संक्रमित व्यक्ति ने अस्पताल से कूद कर अपनी जान दे दी। जबकि दस से अधिक लोगों का सफल इलाज किया गया है। भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समय रहते सचेत हो गयी तथा बिना देश में दहशत फैलाए सभी आवश्यक कदम उठाने में सफल रही है। राज्य सरकारों ने भी आवश्यक सतर्कता बरतनी शुरु कर दी है।
भारत में विदेशों से आने वाले भारतीयों या विदेशी नागरिकों से संक्रमण फैला है। लोगों में अभी भी इसे लेकर जागरुकता तथा कर्तव्यभाव का आभाव है। तमाम निर्देशों के बावजूद लोग विदेश यात्रा से वापस आने पर स्वत: परीक्षण नहीं करवा रहे। कुछ संक्रमित ट्रेस होने के बावजूद भाग गये। कुछ ने परहेज नहीं किया तो कुछ पार्टी करने लगे। यह घोर आपराधिक जानलेवा लापरवाही है। ऐसे लोगों से सरकार को सख्ती से पेश आना होगा।
* कोविड- 19 में खांसी,बुखार,दर्द, सांस लेने मे दिक्कत होती है। यह किसी भी मौसम में फैल सकता है। सर्दी, गर्मी ,बारिश से यह अप्रभावित है। यह व्यक्तिगत से अधिक भीड़ वाले इलाकों में जल्दी फैलता है। ‌विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने इसे महामारी घोषित किया है। अन्य देशों से अलग अभी भारत में यह स्टेज – 2 तक ही है। भीड से बचाव के तमाम प्रयास किये जा रहे हैं। स्कूल, कालेज, माल, जिम, थियेटर, मन्दिरों को बन्द कर दिया गया है। सार्वजनिक आयोजन रोक दिये गये हैं। बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक है तथा जानलेवा भी है।
* विशेषज्ञों तथा सरकार ने हाथों को बार बार हैण्डवाश से धोने, सेनेटाईजर का प्रयोग करने, मास्क लगाने तथा ग्लव्स – टिशु पेपर का उपयोग करने को कहा है। जैसे – जैसे कोरोना की संक्रामकता बढ रही है , वैश्विक स्तर पर इससे बचाव के तरीकों को आजमाया जा रहा है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के तरह – तरह के तरीकों पर चर्चा हो रही है। श्वसन तंत्र से जुडी समस्या होने के कारण प्राणायाम, योग के साथ हाथ मिलाने की जगह नमस्कार करने तथा शवों को दफनाने की जगह जलाए जाने को अधिक सुरक्षित माना जा रहा है।
* दर असल हजारों वर्षों से भारत की प्राचीन जीवन शैली ऐसी ही रही है जो हमें प्रकृति के अधिक नजदीक रखती रही है। पाश्चात्य जीवन शैली के विपरीत भारत आज भी प्राकृतिक जीवन शैली के कारण अधिक स्वस्थ , अधिक प्रतिरोधक क्षमतावान तथा अधिक मजबूत होता है। भौगोलिक , सांस्कृतिक विविधता के बावजूद सनातन परंपरा का एक ऐसा सूत्र है जो तमाम विविधताओं के बावजूद हमें कुछ आवश्यक बिन्दुओं पर एकजुट रखता है। दुनिया में सदियों से तमाम उथल पुथल, हमलों, संक्रमणकाल के बावजूद कुछ ऐसे बीज तत्व हैं जो दुनिया का ना केवल ध्यानाकर्षण हमारी तरफ करते हैं ,अपितु उसे अपनाने को बाध्य भी करते हैं।
भारतीय जीवन दर्शन सनातन धर्म का पर्याय है। यह भारतीय को स्वस्थ, मजबूत, आध्यात्मिक, शाकाहारी, योगी, परोपकारी बनने के लिये प्रेरित करता है। यह विश्व बन्धुत्व ,विश्व कल्याण के साथ प्रकृति को ईश्वरीय गुणों के सादृश्य मान कर उसके संरक्षण ,संवर्धन का काम भी करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का ऐसा समाजसेवी संगठन है जो इस सांस्कृतिक परंपरा को अपना कर देश हित तथा विश्व कल्याण के लिये कार्य करता है।
* सनातन धर्म में सूर्योदय के पूर्व जागकर खाली पेट स्वच्छ जल का सेवन कर सूर्य नमस्कार, योग ,व्यायाम करने की परंपरा है। स्नान उपरांत तालियां बजा कर भजन- कीर्तन करने, ध्यान – प्राणायाम- अनुलोम – विलोम, कपाल भस्त्रिका कर फेफड़ों, हृदय, श्वसन तंत्र को मजबूत किया जाता है। नियमिय सूर्य नमस्कार ,योग, व्यायाम हमारे प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है, मजबूत करता है।
शाकाहारी भोजन , गाय के दूध ,छांछ,घी का सेवन , उसके गोबर – गॊमूत्र का स्वच्छता के लिये प्रयोग विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव करता है।
हम हाथ मिलाने, गले मिलने, चुंबन की जगह दोनों हाथों को जोडकर नमस्ते कहते हैं। कमर से झुक कर प्रणाम् करते हैं। यह स्वस्थ जीवन शैली की हमारी सनातन परंपरा रही है।
* कोरोना के विश्वव्यापी संक्रमण ने एक बार फिर हमे हमारी परंपराओं की याद दिला दी है। धूप + गुग्गुल+ लोबान+ कपूर+ वनॊषधियों का नित्य प्रति हवन किसे याद नहीं है। प्रतिदिन पूजन उपरान्त घरों ,मन्दिरों में शंख घड़ियाल ध्वनि का प्रावधान आज भी है। संघ की शाखाओं में आज भी एक मीटर की दूरी पर ही पंक्ति बद्ध होने का नियम है। जैन मुनियों को मुंह पर मास्क लगा कर संक्रमण से बचाव की जीवन्त शिक्षा प्रदान करते आज भी समाज मे देखा जा सकता है। अहिंसा की शिक्षा आज भी दी जाती है। हाथों में ही भोजन लेकर करने का प्रावधान है। दुनिया तथा भारतीय परंपराओं के विरोधी जरा विचार करें कि हजारों वर्ष पुरानी सनातन परंपराओं में कितना कुछ संजो कर रखा गया है।
* आज दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से खतरनाक स्थिति में है। स्टेज -3 एवं स्टेज -4 की आशंका से देश सहमा हुआ है। संक्रमण फैले …बडी संख्या में लोग इसके शिकार हों …इससे पहले हम सभी सतर्क हो जाएं। कदापि डरें नहीं …. अफवाह ना फैलाएं… लेकिन दुस्साहसी भी ना बनें। यह सिर्फ मेरे या आपकी ही नहीं ….परिवार, समाज,देश ,विश्व की जान से जुडा विषय है। इसलिए सरकार, विशेषज्ञ, चिकित्सकों के निर्देशों का पूरा पालन करें। किसी अन्धविश्वास , किसी भ्रम में ना रहें। बेवजह ना भीड में जाएं…ना भीड का हिस्सा बनें। सावधानी ही बचाव का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।सतर्क रह कर, जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभा कर अपना दायित्व अवश्य निभाएं।

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