शहर के पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता की रक्षा पर ज़ोर
पर्यावरण संरक्षण के प्रति सक्रिय संगठन सजग नागरिक मंच ने नवी मुंबई की पहाड़ियों को वन विभाग के हवाले करने की मांग की है, ताकि इन पारिस्थितिक तंत्रों को दीर्घकालिक सुरक्षा और संरक्षण मिल सके।
मंच द्वारा संबंधित अधिकारियों को सौंपे गए विस्तृत ज्ञापन में कहा गया है कि शहर की पारिस्थितिक स्थिरता, जैव विविधता और सतत विकास को बनाए रखने के लिए इन पहाड़ियों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। ज्ञापन में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, भूमि समतलीकरण, अवैध निर्माण और भूखंडों की अनधिकृत बिक्री को क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा बताया गया है।
“विकास हमारी प्राकृतिक विरासत की कीमत पर नहीं”
मंच के सदस्य और पर्यावरण कार्यकर्ता कपिल कुलकर्णी ने कहा — “नवी मुंबई के पर्यावरण को बचाने का अर्थ है शहर के भविष्य को सुरक्षित करना। विकास हमारी प्राकृतिक विरासत को नष्ट करने की कीमत पर नहीं होना चाहिए। सतत विकास का एकमात्र रास्ता है — नवी मुंबई की आर्द्रभूमि, मैंग्रोव और बेलापुर, पारसिक तथा खारघर की सभी पहाड़ियों का स्वामित्व सिडको और एनएमएमसी से वन विभाग को हस्तांतरित करना।”
सरकार और स्थानीय निकायों को ज्ञापन की प्रतियां
सजग नागरिक मंच ने यह ज्ञापन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, राज्य के वन मंत्री, प्रमुख सचिव (वन), सिडको, और नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) को भी भेजा है।
सिडको के रवैये पर सवाल
मंच ने सीवुड्स-नेरुल स्थित लोटस झील प्रकरण का उदाहरण देते हुए सिडको की पर्यावरण नीति की आलोचना की।
मंच के अनुसार, सिडको ने पहले विकास के लिए प्राकृतिक झील क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया था, लेकिन पर्यावरणविदों के कड़े विरोध के बाद उसे काम रोकना पड़ा।
न्यायालय के निर्देशों का हवाला
संगठन ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस निर्देश की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसमें मुंबई महानगर क्षेत्र के सभी मैंग्रोव क्षेत्रों को घेराबंदी कर वन विभाग को सौंपने का आदेश दिया गया था।मंच ने कहा कि उसी तरह की नीति नवी मुंबई की पहाड़ियों पर भी लागू की जानी चाहिए, ताकि अतिक्रमण और अनियंत्रित विकास पर प्रभावी नियंत्रण हो सके।
सजग नागरिक मंच ने जिला कलेक्टरों से अपील की है कि वे न्यायिक सिद्धांतों के तहत शीघ्र कार्रवाई करें और नवी मुंबई की प्राकृतिक पहाड़ियों को स्थायी सुरक्षा प्रदान करें।
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