संसद का आज का दिन: इनकम टैक्स बिल vs लोकतंत्र पर सवाल

Aanchalik Khabre
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आज संसद में और संसद के बाहर दोनों जगह बड़ी हलचल है। एक तरफ सरकार एक नया इनकम टैक्स बल पेश करने जा रही है, जो सीधे देश के करोड़ों लोगों की जेब पर असर डालेगा। दूसरी तरफ वपक्ष सड़कों पर उतर आया है, जहां करीब 300 सांसद चुनाव आयोग तक माच नकाल रहे हैं। वपक्ष का कहना है क लोकतंत्र खतरे में है और चुनाव आयोग अब नष्पक्ष नहीं रह गया।
इस तरह देखा जाए तो आज संसद में सफ एक नया बल नहीं पेश हो रहा, बि क देश की राजनीत में भरोसे और व्यवस्था पर टकराव भी देखने को मल रहा है।

इनकम टैक्स बल: सीधा असर आपकी जेब पर


वत्त मंत्री नमला सीतारमण आज लोकसभा में नया इनकम टैक्स बल पेश करने वाली हैं। इस बल में बताया गया है क करीब 285 बदलाव कए जाएंगे। ये बदलाव छोटे नहीं हैं, ये हमारी सैलरी, नौकरी, इनकम, से वंग और टैक्स रटन पर असर डाल सकते हैं।
सरकार का दावा है क इन बदलावों से टैक्स सस्टम आसान बनेगा, पारदशता बढ़ेगी और टैक्स चोरी भी कम होगी। लेकन आम आदमी की चंता ये है क क्या इससे टैक्स ज्यादा देना पड़ेगा? क्या बचत पर असर पड़ेगा? क्या मडल क्लास को फायदा होगा या सफ बड़े उद्योगपतयों को?
जब तक बल संसद में पूरी तरह पढ़ा और समझा नहीं जाता, तब तक इसका असर साफ नहीं होगा। लेकन एक बात तय है – इससे हर कसी की जेब पर कुछ न कुछ असर जरूर पड़ेगा।

वपक्ष का लोकतंत्र बचाओ माच: चुनाव आयोग सवालों के घेरे में


आज का दूसरा बड़ा मुद्दा संसद के बाहर दखा, जहां वपक्ष के करीब 300 सांसद एकजुट होकर ‘लोकतंत्र बचाओ’ माच नकाल रहे हैं। यह माच संसद भवन से शुरू हुआ और चुनाव आयोग तक जाएगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ कहा – “चुनाव आयोग अब सरकार का साथी बन चुका है।” उनका आरोप है क चुनाव आयोग अब नष्पक्ष नहीं रहा और वह सरकार के इशारों पर काम कर रहा है।
वपक्ष के नेताओं का कहना है क िजस तरह चुनाव आयोग हाल के फैसले ले रहा है, उससे यह साफ है क आने वाले चुनावों में नष्पक्षता नहीं रहेगी। लोगों का भरोसा खत्म हो रहा है और यह लोकतंत्र के लए खतरे की बात है।

भाजपा का जवाब: वपक्ष खुद पर नजर डाले


वहीं, भाजपा ने वपक्ष के इन आरोपों का करारा जवाब दया है। भाजपा ने दावा कया है क राजद नेता तेजस्वी यादव के पास दो वोटर ID हैं, और कहा क अगर वपक्ष के पास कोई सबूत है तो वो सामने लाए।
इसका मतलब ये है क अब लड़ाई सफ चुनाव आयोग और सरकार के बीच नहीं रह गई है, बि क वपक्षी नेताओं पर सीधे आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।
राजनीत में यह आम बात है, लेकन जब दोनों पक्ष इतने तीखे आरोप लगाने लगें, तो जनता के लए सच्चाई समझना मुिकल हो जाता है।

संसद में बहस, सड़कों पर प्रदशन – असली मुद्दा क्या है?


आज का दन सफ संसद सत्र का हस्सा नहीं है, बि क यह उस बहस का हस्सा है जो हमारे लोकतंत्र और अथव्यवस्था को लेकर चल रही है।
एक तरफ सरकार चाहती है क देश की टैक्स व्यवस्था सुधरे, ज्यादा लोग टैक्स दें और देश की अथव्यवस्था मजबूत हो। दूसरी तरफ वपक्ष का कहना है क सफ टैक्स सुधार से कुछ नहीं होगा, जब तक चुनाव, संस्थाएं और व्यवस्था नष्पक्ष नहीं होतीं।
यह दो अलग-अलग सोचें हैं – एक सोच सस्टम सुधारने पर है, और दूसरी सोच सस्टम को जवाबदेह बनाने पर।

जनता कहां खड़ी है?


अब सवाल है क आम जनता क्या सोच रही है?
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आपकी नजर टैक्स बल पर है – क्या इन बदलावों से मेरी सैलरी पर टैक्स बढ़ेगा या कम होगा? अगर आप युवा हैं, तो आप सोच रहे होंगे क चुनाव आयोग पर सवाल क्यों उठ रहे हैं – क्या मेरे वोट की कीमत अब भी वही है?
कई लोग सरकार की कोशशों को सुधार की दशा में एक कदम मानते हैं, वहीं कई लोग वपक्ष के माच को लोकतंत्र के लए जरूरी आवाज बताते हैं।
असल में, जनता के मन में सबसे बड़ा सवाल ये है क क्या देश की संस्थाएं – जैसे संसद, चुनाव आयोग, अदालत – अब भी नष्पक्ष और जनता के प्रत जवाबदेह हैं या नहीं?

लड़ाई सफ संसद की नहीं, भरोसे की भी है


आज का दन हमें याद दलाता है क लोकतंत्र सफ वोट देने तक सीमत नहीं है। जब कोई टैक्स बल आता है, तो वह हमारे जीवन पर असर डालता है। जब चुनाव आयोग पर सवाल उठते हैं, तो वह हमारे भवष्य की दशा तय करता है|
सरकार को यह समझना होगा क आथक सुधार के साथ-साथ लोकतां त्रक संस्थाओं पर जनता का भरोसा भी उतना ही जरूरी है। और वपक्ष को भी यह ध्यान रखना होगा क वरोध का तरीका ऐसा होना चाहए जो व्यवस्था को मजबूत करे, न क उसे कमजोर करे।
लोकसभा में बहस और सड़कों पर माच – दोनों ही जरूरी हैं, लेकन इनका मकसद एक होना चाहए – देश और जनता की भलाई।

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