रोहिणी सेक्टर 25 में अरबों रुपये की भूमि पर अवैध कब्जा-आँचलिक ख़बरें-ब्यूरो रिपोर्ट

News Desk
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नॉर्थवेस्ट दिल्ली के अली पुर न्यायायिक क्षेत्र के अंतर्गत प्रहलाद विहार से लगे रोहिणी सेक्टर 25 में अरबों रुपये की भूमि पर अवैध कब्जा.

बाहरी दिल्ली के जिला नार्थ दिल्ली के अलीपुर में 20 से 25 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा उक्त भूमि पर अरबों रुपये के भ्र्ष्टाचार का मामला उजागर हुआ है।

https://youtu.be/yc6n595Vt4o

 

मां गंगा जीव कल्याण ट्रस्ट जो लावारिस जीव की रक्षा और उसकी सेवा के लिये तत्पर है, तथा वह जगह जगह जीव कल्याण के लिये सेवारत है, इस ट्रस्ट ने एक विज्ञप्ति जारी कर दिल्ली सरकार को अलीपुर न्यायकक्षेत्र के प्रहलादपुर से लगे रोहिणी सेक्टर 25 में अरबों की भूमि पर हो रहे क़ब्ज़े के प्रति सरकार को सचेत करते हुए सवाल उठाए हैं, ट्रस्ट ने कहा है कि दिल्ली में भ्र्ष्टाचार को रोकने का बड़े बड़े दावा करने वाली संकल्पित सरकार, आज उसी सरकार के प्रतिनिधियों के ही नेतृत्व में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा हो रहा है और सरकार खामोश मूकदर्शक बनी देख रही है।
ट्रस्ट के अनुसार – अलीपुर डीसी द्वारा 35A, के तहत अब तक क़ब्ज़ा ले कर जन हित में प्रयोग करनी चाहिए थी, उस जमीन पर शिलान्यास किया गया है। जबकि एसडीएम द्वारा स्टे ले कर आरओ जारी किया हुआ है जिसकी कॉपी संलग्न है, बावजूद इसके उक्त भूमि पर उसी एसडीएम द्वार उक्त भूमि पर कॉलोनी बनाने का शिलान्यास हो रहा है. जबकि अभी भी वह ज़मीन एग्रीकल्चर लैंड है उसे अभी तक लैंड यूज़ के बदला नही गया है।
ट्रस्ट एवं स्थानीय समाज सेवियों के शिकायत पर दिल्ली उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए अलीपुर एसडीएम ने उक्त भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी. परन्तु फिर आज ऐसा कौन से आदेश के तहत एसडीएम ने अपने अधिकारियों तथा स्थानीय विधायक के साथ वही भूमि लग-भग 20 से 25 एकड़ पर नई कॉलोनी की योजना पास कर नई कॉलोनी का शिलान्यास व नारियल फोड़ कर उद्घाटन कर रहे हैं, जबकि उक्त भूमि पर न्यायालय का निषेधाज्ञा लागू किया हुआ है, बावजूद इसके न्यायालय की आदेशों की धज्जियां उड़ा कर न्यायालय की अवहेलना कर कॉलोनी का शिलान्यास किया जा रहा है, ट्रस्ट ने सरकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह किस क़ानून के अंतर्गत यह निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है? स्थानीय समाज सेवियों और ट्रस्टी का मानना है कि इस परिकर्ण से दिल्ली सरकार के भ्र्ष्टाचार पर अंकुश लगाना महज़ एक ढकोसला सा प्रतीत होता दिखाई दे रहा है। अब देखना यह है की दिल्ली सरकार सजा किसे देती है अपने विधायक को या अपने पदाधिकारियों को??

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