जमीन फर्जीवाड़े में शामिल रह चुके पटवारी रामानंद सिंह को भारी पड़ा शहरी हल्के का ही पटवारी बनने का लोभ

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मनीष गर्ग खबर सतना
जमीन फर्जीवाड़े में शामिल रह चुके पटवारी रामानंद सिंह को भारी पड़ा शहरी हल्के का ही पटवारी बनने का लोभ। उच्च न्यायालय ने न्यायालय का समय बर्बाद करने पर 10 हजार का जुर्माना लगाते हुए खारिज की पुनर्विचार याचिका। कहा, तुम्हारी सत्यनिष्ठा संदेहास्पद।
अपने राजनीतिक आकाओं और कुछ चहेते अफसरों के दम पर जमीन फर्जीवाड़े का खिलाड़ी पटवारी रामानन्द सिंह उचेहरा तहसील से सतना शहर के बरदाडीह में अपना तबादला करवाने में सफल रहा था। हद तो ये हुई थी कि आदेश जारी होने के साथ ही रामानंद ने सीधे सतना में ज्वाइनिंग भी दे दी थी, जबकि जिले के अन्य पटवारी पदभार सौंपने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन इसका फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कलेक्टर ने तबादला निरस्त कर दिया। लेकिन मलाईदार पटवारी हल्का अपने हाथ से न निकले इसको लेकर रामानंद उच्च न्यायालय चला गया। लेकिन कोई राहत नही मिली तो इसने फिर पुनर्विचार याचिका लगाई। इसमे जब शासन का पक्ष कोर्ट ने सुना तो पटवारी को कहा कि तुम्हारी सत्यनिष्ठा संदेहास्पद है। इसके साथ ही 10 हजार का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। यह भी कहा कि कलेक्टर ने आने अधिकार क्षेत्र का उपयोग किया है, उसमे हस्तक्षेप नही किया जाना चाहिए।

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