साल में एक बार नागपंचमी के दिन खुलते हैं महाकाल मंदिर में दूसरे तल में विराजे, नागचन्द्रेश्वर भगवान.
नागपंचमी पर्व की मध्यरात्रि 12 से लेकर अगले रात को 12 बजे तक भगवान के पट खुले रहते हैं, इस दौरान देशभर से पहुंचे लाखों श्रद्धालु, इस पावन और अति विशिष्ट अवसर के गवाह बनते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है. गर्भगृह के बाहर दीवार पर 11वीं शताब्दी की दुर्लभ प्रतिमा है. इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं. मान्यता है यह एकमात्र प्रतिमा है, जिसमें भगवान शिव-पार्वती सर्प शैय्या पर विराजमान हैं। रात्रि ठीक 12 बजे खुले श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत, संत विनीत गिरी महाराज ने किए दर्शन,भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन अर्चन कर,परम्परा आगे बढ़ाई।
नागपंचमी के दिन होते नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शन-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग
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