आवास योजना पर महंगाई का असर-आंचलिक ख़बरें-भगवत सिंह लोधी

Aanchalik Khabre
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आवास योजना पर महंगाई का असर एक सप्ताह मे 25 से 30 किलो बढा सरिया का दाम हितग्राही परेशान

 

जनपद पंचायत जबेरा अतंर्गत पंचायतों में, पीएम आवास योजना से बनने वाले मकान बढती कीमतों से परेशान हितग्राही, आवास योजना बनने वाले मकानों भारतीय बाजार मे, महंगाई के रुप मे साफ दिखाई देने लगा है. महंगाई का सबसे अधिक प्रभाव पीएम आवास योजना पर पडा है।मकान बनाने का खर्चा 25 से 30% तक बढ़ गया है. जबकि हितग्राहियों की आवास बनाने के जारी की जाने वाली राशि जस तस है।यही कारण है कि हाल ही में सरकार ने, पीएम आवास के सैकड़ों हितग्राहियों के खाते पहली दूसरी किस्त के रूप मे राशि डाली है।लेकिन निर्माण का काम अभी तक कुछ ही हितग्राहियों ने शुरू तक नहीं किया है। जनपद पंचायत जबेरा बीजाडोगरी राजाराम सिंह लोधी ने बताया है कि, अपने घर का निर्माण आधे से अधिक हो गया हो गया हैं. 10 दिन पहले वह दासा पिलर के लिए 62 रूपये किलो सरिया लेकर आए थे .सरिया कम पड़ने पर वह दोवारा बजार सरिया लेने गए तो, सरिया का दाम दुकानदार द्वारा 90 रूपये किलों बताया. एक सप्ताह मे ही अचानक 30 रू प्रति किलो सरिया मे बढ़ोतरी से परेशान है. हितग्राही घरेलू निर्माण सामग्री मे महंगाई का, सबसे अधिक विपरीत प्रभाव पीएम आवास योजना पर पडा है. पीएम आवास हितग्राही पप्पू अहिवार, बीना अहिवार ने बताया, लोहा के साथ ईट सीमेंट हुए महगा, दो हजार ईट 10 हजार रुपये, सीमेंट 340 रूपये मिल रहा है, शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र मे पीएम के स्वीकृति हजारों मकानों का निर्माण रुक गया है। उल्लेखनीय है कि, शहरी क्षेत्रों मे पीएम आवास योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा, ढाई लाख रूपये राशि स्वीकृत है, लेकिन वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना तहत ग्रामीण क्षेत्रो मे 1 लाख 20 हजार रूपये दिए जाते है, एवं व मजदूरी के लिए 18 हजार अलग से दिएँ. जातें है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि शहरी क्षेत्र मे ढाई लाख रूपये एवं, इसमें आधी राशि ग्रामीण क्षेत्र मे क्यों दी जा रही है । जबकि शासन के मापदंडों के अनुसार, शहर व् ग्रामीण क्षेत्रों मे आवास का मापदंड एक जैसा है. वहीं ग्रामीण को निर्माण सामग्री शहर से ही ले जाना पडती है, जिसका दुलाई भाडा अलग से हितग्राही को देना पडता है. और इतनी आधी कीमत मे पीएम आवास का निर्माण कराना असंभव है. और वही अब अचानक इस बढती मंहगाई की मार के चलते, इनका सपना कैसे पूरा होगा, अब गरीबों की पक्की छत कैसे बनेगी, इसके बारे मे शासन प्रसासन को सोचना होगा।

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