कोठी गांव की लाड़ली लक्ष्मी हितग्राहियों के घर लाड़लियों के नाम से जाने जाएंगे-आंचलिक ख़बरें-रमेश कुमार पाण्डे

Aanchalik Khabre
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लाड़ली लक्ष्मी उत्सव के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग ढीमरखेड़ा परियोजना ने बालिकाओं को उनकी पहचान दिलाने के उद्देश्य से नवाचार प्रारंभ

जिला कटनी – प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान लाड़लियों को सशक्त बनाने और समाज में सम्मान दिलाने के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रारंभ की है। शासन की इस मंशा को आगे बढ़ाने के लिए कटनी जिले में कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की ढीमरखेड़ा एकीकृत बाल विकास परियोजना ने अभिनव नवाचार किया है। ढीमरखेड़ा विकासखंड के कोठी गांव की लाड़ली लक्ष्मी योजना की हितग्राहियों के घर अब लाड़लियों के नाम से ही जाने जाएंगे। विभाग ने सभी बालिकाओं के घरों के बाहर उत्सव पूर्वक उनके नाम अंकित किए हैं। जिसको लेकर लाड़लियों के साथ ही उनके परिजनों ने भी खुशी जाहिर करते हुए प्रदेश सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

लाड़ली लक्ष्मी उत्सव के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग ढीमरखेड़ा परियोजना ने बालिकाओं को उनकी पहचान दिलाने के उद्देश्य से नवाचार प्रारंभ किया। इसके लिए सबसे पहले कोठी गांव को चुना गया और योजना की हितग्राही 92 लाड़लियों के घरों के बाहर उनके नाम अंकित किए गए, ताकि लोग अब उनके घरों की पहचान उनके माता-पिता नहीं बल्कि बालिकाओं के नाम से हो।

कोठी गांव निवासी हितग्राही बालिका सुषमा की माता आरती चौधरी का कहना है कि योजना से जहां उनकी बेटी की पढ़ाई में मदद मिली है तो वहीं अब उनका घर उनकी लाड़ली बेटी के नाम से जाना जाएगा, इसको लेकर वह बेहद खुश हैं। दूसरी ओर बालिका सुषमा ने खुशी जाहिर करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री का धन्यवाद ज्ञापित किया।

कोठी गांव निवासी चंद्रशेखर पटेल ने भी गांव में बालिकाओं को अलग पहचान दिलाने चलाए गए इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए अच्छी पहल बताया है। हितग्राही बालिका साधना के पिता नत्थू सिंह और चंद्रशिखा के पिता अजय सिंह ने भी योजना की तारीफ करते हुए बालिका के नाम से उनके घर की पहचान होने पर खुशी का इजहार किया है।

परियोजना अधिकारी ढीमरखेड़ा आरती यादव ने बताया कि 16 सौ की आबादी का कोठी गांव जिला मुख्यालय से 72 किमी. जंगलों की वादियों में बसा है। यहां पर लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रारंभ से लेकर अभी तक 92 बालिकाओं को योजना से जोड़ने का काम किया है। जिसमें से कक्षा छठवीं में पहुंचने पर 15 बालिकाओं को और कक्षा नवमीं पर अध्ययन के दौरान 4 बालिकाओं को योजना के तहत छात्रवृत्ति प्रदान की जा चुकी है।

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