सात दिवसीय योगाभ्यास व व्याख्यानमाला कार्यक्रम का हुआ समापन
चित्रकूट: जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय में चल रहे सात दिवसीय योगाभ्यास एवं व्याख्यानमाला का सोमवार को समापन हुआ। समापन सत्र में कुलपति प्रो योगेशचंद्र दुबे ने लोगों को योग के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि सभी योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं तथा स्वस्थ एवं निरोगी जीवन जिएं।
उन्होंने कहा कि योग विद्या भारतवर्ष की सबसे प्राचीन विद्या एवं संस्कृति है। इसी विद्या के बल पर भारतवासी सुखी समृद्ध एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत करते थे। जब से इस विद्या का हराश हुआ तभी से भारतवासी दुखी एवं अस्वस्थ जीवन व्यतीत करने लगे इस योग विद्या को मानव को मानवता के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में पालन करना चाहिए। अधिष्ठाता कला एवं मानविकी संकाय डाॅ विनोद मिश्र ने बताया कि महर्षि पतंजलि के योग सूत्र में मानव के मानवता का संपूर्ण सार है। प्रत्येक व्यक्ति को योग सूत्र का अध्ययन करना चाहिए। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी आनंद कुमार ने सात दिवसीय व्याख्यान माला की रूपरेखा प्रस्तुत की। योग प्रशिक्षक जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मानव को मानवता के लिए अपने जीवन में यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रम्हचर्य, एवं अपरिग्रह), नियम (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान), आसन एवं प्राणायाम का अभ्यास अपने जीवन में शामिल करते हैं, तो मानव को मानवीय जीवन में सुखी, समृद्ध एवं स्वस्थ रह सकते हैं। इस मौके पर डॉ गोपाल मिश्रा, डॉक्टर प्रमिला मिश्रा, डॉ महेन्द्र उपाध्याय, निहार मिश्रा, पीआरओ एसपी मिश्रा सहित शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।