शिक्षक ने भीली भाषा में शादी की पत्रिका छपवाकर स्थानीय भाषा का मान बढ़ाया-आंचलिक ख़बरें-राजेंद्र राठौर

Aanchalik Khabre
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भीली भाषा पश्चिम हिंद आर्य भाषाओं का एक समूह है जो भारत के राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र मध्य प्रदेश के लगभग 60 लाख भील बोलते हैं।
भील आदिवासियों का समस्त साहित्य सृजन मौखिक ही हुआ है और हस्तांतरण भी मौखिक होता है रहा है इस संदर्भ में महत्वपूर्ण यह है कि लिपि ना होने के बावजूद भीलो की साहित्यिक धरोहर संपन्न और सशक्त है। साहित्य की समस्त विद्याओं जैसे कथा गल्फ गीत पहेलियां मुहावरे आदि सबकुछ इनके पास हैं इन की लोक कथाएं और लोकगीत जीवन के सभी पक्षों को अभिव्यक्त करते हैं हास्य परिहास जीवन दर्शन स्वयं की उत्पत्ति दैनिक समस्याएं जन्म से मृत्यु तक के संस्कार आदि भीली भाषा में ही किए जाते हैं।
इसी भीली भाषा का मान बढ़ाते हुए केशव इंटरनेशनल स्कूल के व्यायाम शिक्षक ने अपनी शादी की पत्रिका भीली भाषा में छपवाकर अपनी भाषा का मान बढ़ाया।

रतलाम झाबुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद गुमान सिंह डामोर ने भी स्थानी भीली भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

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