ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव मिलकर सरकारी धन का कर रहे बंदरबांट
चित्रकूट। जिला के कर्वी विकासखंड के ग्राम पंचायतों में यदि वास्तविक रूप से धरातल पर जिम्मेदार अधिकारी जांच करें तो लाखों रुपए का भ्रष्टाचार सभी ग्राम पंचायतों में सामने आ सकता है। लेकिन जांच करे तो करे कौन क्योंकि प्रत्येक भ्रष्टाचार की राशि का कमीशन जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंच रहा है। सारा मामला हरिहरपुर ग्राम पंचायत का है जहां अजीबोगरीब तरीके से सरकारी धन का बंदरबांट करने का मामला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि विगत कुछ माह पहले ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव के द्वारा गौशाला मे मरम्मती करण किया गया जिसमें मरम्मती करण के नाम पर लाखों रुपए की राशि का बंदरबांट करने का मामला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि हरिहरपुर ग्राम पंचायत में बने गौशाला पर टीन सेड बारामती करण के नाम पर लाखों रुपए की राशि ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव मिलकर डकार गए हैं लेकिन जिले में बैठे विकास खंड अधिकारी व जिला पंचायत अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी है बताया जा रहा है कि जिले में बैठा अधिकारी सिर्फ दफ्तरों में पड़ी कुर्सियों को ही सुबह से शाम तक तोड़ते पाए जाते हैं ग्राम पंचायतों का निरीक्षण करे तो करे कोन क्योंकि जिले में बैठे अधिकारियों की चढ़ने वाली चडोती समय से पहुंचा दी जाती है और यही वजह है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की नीतियों पर पानी फेरने में कोई अधिकारी कसर नहीं छोड़ रहा है और ग्राम पंचायतों में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है वही अब देखने वाली बात यह होगी कि हरिहरपुर ग्राम पंचायत में कराए गए कार्यों का कब वास्तविक धरातल पर जिम्मेदार अधिकारी निरीक्षण करते हैं
लाखो रुपये राशि चढ़ गई भ्रष्टाचार की भेंट-
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां बेसहारा गोवंश को बेहतर व्यवस्था देने के लिए लाखों रुपए खर्च कर रही है ताकि बेसहारा गोवंश को रहने के लिए अच्छा ही स्थान और चारा भूसा दिया जा सके लेकिन गौशाला जाने के बाद यहां की हकीकत कुछ और ही देखने को मिल रही है जहां गोवंश को ना तो बेहतर खाने के लिए चारा भूसा मिल रहा और ना ही योगी सरकार की नीति के अनुसार अन्य सुविधाएं यह जरूर है कि गौशाला के नाम पर लाखों रुपए की राशि बंदरबांट करते हुए भ्रष्टाचारी मालामाल हो रहे हैं और जिले के जिम्मेदार अधिकारी हाथ में हाथ धरे दफ्तरों में बैठकर कुर्सी तोड़ते नजर आ रहे हैं वही अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक सरकारी धन का इसी तरह ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव मिलकर बंदरबांट करते रहेंगे। या फिर ग्राम पंचायतों की वास्तविक जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी।