सतना। सांसद गणेश सिंह ने सदन नियम 7 लाख 70 हजार भारतीय छात्र विदेशों 377 के तहत मेडिकल की पढ़ाई करने वाले अध्ययनरत हैं जो वर्ष 2016 में 4 लाख 4 छात्रों की समस्या पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि हाल ही में दो घटनाओं कोविड 19 महामारी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने विदेशों में अध्ययनरत ऐसे हजार छात्रों की तुलना में 20 प्रतिशत वृि को इंगित करता है। उन्होंने कहा कि महामा की शुरुआत से पहले विदेशों में अध्ययनर भारतीय छात्र विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में 2 बिलियन डालर का व्यय कर रहे थे जो भारत में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग ए प्रतिशत है। जहां भारत की आधी से अधि आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है अ छात्रों को विशेष रूप से सुर्खियों में ला दिया दुनिया के शीर्ष 100 में कोई भी भारती है। जब तक भारत में शिक्षा प्रणाली छात्रों विश्वविद्यालय शामिल नहीं है। ऐसे की आवश्यकता के अनुरूप नहीं बनेगी स्वाभाविक है कि महात्वाकांक्षी छात्र शि उनका विदेश जाना जारी रहेगा। वर्तमान में के लिए विदेश का ही चयन करेंगे।
एमबीबीएस सीटों को बढ़ाने की मांग
सांसद ने सदन में कहा कि मेडिकल डिग्री के विशेष संदर्भ में भारत के निजी मेडिक कॉलेजों में एमबीबीएस सीट के लिए भुगतान की तुलना में विदेशों में रहने और शिक्षण शुल में होने वाला खर्च कहीं अधिक वहनीय है। भारत में उपलब्ध एमबीबीएस सीटों की तुल में एमबीबीएस उम्मीदवारों की संख्या भी अधिक है। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध कि कि एमबीबीएस पढ़ाई के इच्छुक अभ्यार्थियों की संख्या को देखते हुए देश में ही मेडिक कालेजों में एमबीबीएस सीटों की संख्या पर्याप्त रूप से बढ़ाई जाए, साथ ही मेडिकल क पढ़ाई में होने वाला खर्च भी कम किया जाए, जिससे देश के छात्र मेडिकल पढ़ाई के लि विदेश का रुख न करें।

