उत्तर प्रदेश के एटीएस सेल ने विगत दिनों उमर गौतम और जहांगीर आलम क़ासमी को गिरफ्तार किया है और वह इस समय पुलिस हिरासत में हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ उनसे पूछताछ की जा रही है। उन दोनों पर बहुत संगीन आरोप लगाए गये हैं।
जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने मीडिया को जारी अपने एक बयान में उन दोनों लोगों की गिरफ्तारी पर अत्यंत दुखद बताते हुए इसे अन्याय क़रार देते घोर निंदा की है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सरकार ने उन दोनों को दुर्भावनापूर्ण गिरफ्तार किया है और आज फिर से मीडिया का एक हिस्सा मौलाना साद तब्लीगी जमात की तरह अफवाह फैलाने का काम कर रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि इस प्रकार के कृत्य द्वारा भय का वातावरण पैदा करके जन भावनाओं को उभारने तथा उनमें नफरत पैदा कर के राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में आठ महीने बाद विधान सभा चुनाव की पृष्ठभूमि में अवाम की बुनियादी समस्यओं से ध्यान हटा कर जज़्बाती माहौल पैदा करने की इस तरह की कोशिशें बहुत अफसोसनाक हैं। सच तो यह है कि इस्लाम मे किसी को भी ज़बरदस्ती लाने का प्रावधान नहीं है जबकि भारत तो एक लोकतांत्रिक देश है, यहां कोई भी बलपूर्वक किसी का धर्म कैसे परिवर्तित करा सकता है? इस्लाम तो इसकी बिल्कुल इजाज़त नहीं देता। देश के हर नागरिक को अपनी पसंद का धर्म अपनाने, उस पर चलने और उसके प्रचार प्रसार का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। उसका यह अधिकार उससे कोई नहीं छीन सकता। बिना किसी ठोस आधार पर दहशतगर्दी जैसे आरोप लगाना और एनएसए जैसे खतरनाक क़ानूनों का इस्तेमाल करने और जायदादों पर क़ब्ज़ा करने जैसी धमकियां देना लोकतंत्र और भारतीय संविधान को चुनौती देना है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की नाइंसाफियों के ख़िलाफ़ इंसाफ पसंद लोगों, संगठनों और राजनीतिक दलों को भी आवाज़ उठानी चाहिए और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए। उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी इस ग़लती को ठीक करते हुए दोनों लोगों को तुरंत रिहा करने का आदेश देगी। हम आशा करते हैं कि अदालत से इस सिलसिले में जल्द न्याय मिलेगा।