कल जब फ्लाई ओवर के उद्घाटन समारोह में कुर्सी को ले कर सांसद जी के दो चमचे मुझे उंगली कर गए तो मैं हनुमान जी का भक्त हूं। जे मोहि मारा मैं ओहि मारा का अनुसरण कर कार्यक्रम में ममता जी महापौर के उनके कार्यकाल के बखान सुन कर बोल पड़ा कि दीदी आपका कार्य काल तो अच्छा रहा पर आपके कार्य काल में फ्लाई ओवर के भूमि पूजन और शिलान्यास का तत्कालीन विधायक शंकरलाल का नाम लिखा पत्थर क्यों गायब हो गया तो उन्होंने सांसद जी की तरफ देख कर बोला वो आप इनसे ढूंढवाओ ममता जी और मेरे वार्तालाप से सांसद जी के वो दो चमचे जिन्होंने मेरी और उमेश लाला जी की कुर्सी में ठसने का निवेदन मुझसे किया उन्होंने तेल जले तेली का जले मशालची की तर्ज पर मेरा मुंह बंद कराने का प्रयास किया पर मैं चुप नहीं रहा. हालांकि सांसद जी के भाई उमेश जी विनम्र और शालीन रहे उन्होंने मुझे आदर दिया और भाजपा जिला अध्यक्ष नरेंद्र जी मंच संचालक सतीश शर्मा और स्पीकर अनिल जैसवाल जी का मैं आभारी हुं और उनके अलावा पूर्व महापौर विमला दीदी बहन बड़ी मीना माधव जी छोटी बहन नीता सोनी और मेरी बिटिया समान शिखा सिंह तिवारी ने मुझे स्नेह सम्मान दिया. पर एक कहावत है सुपा बोले तो बोले पर चलनी क्यों बोले इस तर्ज पर सांसद जी के दो चमचे मुझसे उलझने का प्रयास जो कर रहे थे उनका दर्पण मैं वक्त पर दिखाऊंगा. खैर शाम को सांसद जी जब फ्लाई ओवर से निकलते जाम में फसे तो मैने जा कर उनसे नमस्ते कर उनके द्वारा मुझे डांटने पर सॉरी तो बोला पर उनके चमचों के बरताव को नही बता पाया जिससे मैं नाराज हो कर उन पर गुस्सा निकाला पर मैने बरताव पर खेद जताया हालांकि मेरा पत्थर पर पूछा गया प्रश्न गलत नही था पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने सही कहा था, समरथ की नही दोष गोसाई, मरता क्या न करता नाराज हुए सांसद जी को मनाने का प्रयास किया अब वो माने या न माने राम जाने पर कल मुझे कुछ हो जाए तो आप लोग मेरा अफसोस मत करना क्योंकि, बहुत कठिन है डगर पनघट की, और मैने भी वो लाइन याद कर ली है, सरफरोशी की तम्मन्ना अब हमारे दिल में है. देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है.