स्टूडेंट्स के दाखिले को यूजीसी की मंजूरी, तकनीकी पहलुओं पर मंथन कब तक रहेगा जारी?
रूस-यूक्रेन जंग के दौरान मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर वतन लौटने वाले स्टूडेंट्स की देश में ही पढ़ाई के लिए उम्मीद की किरण जग गई है। उन्हें स्थानीय सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ही खाली सीटों पर दाखिला देकर पढ़ाई कंप्लीट कराई जाएगी। यह सब यूजीसी और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल वजनों स्थल दलाव एवं वडा डावने एजुकेशन (एआईसीटीई) की स्वीकृति नाइन जिन पर कार शम के बाद संभव होगा। फिलहाल मामला नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) के पास गया है, जहां इसके लीगल और टेक्निकल पहलुओं पर मंथन हो रहा है। 24 फरवरी को छिड़ी रूस-यूक्रेन जंग के बीच वहां से 22,800 लोगों को वतन लाया गया था। इनमें 17,000 बच्चे मेडिकल के थे। इसमें से 4,000 आखिरी सेमेस्टर ले और इंटर्नशिप वाले थे। पहले से 5वें होगा। निम सेमेस्टर तक के कुल 13,000 स्टूडेंट माने हैं। इनमें पहले सेमेस्टर के 2,500, यह दूसरे, तीसरे और चौथे सेमेस्टर के वार 3,000-3,000 और पांचवें के 1,500 स्टूडेंट हैं।
ऐसे मिलेगा दाखिला
पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन एमबीबीएस स्टूडेंट्स के प्रधान आरबी गुप्ता का कहना है कि यूजीसी और एआईसीटीई ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में खाली सीटों के आधार पर यह मंजूरी दी है। पहले सेमेस्टर को छोड़ दें तो हरेक कॉलेज के बाकी के तीन से चार सेमेस्टर में विभिन्न कारणों से 4 से 5 सीटें खाली होती हैं। ऐसे में कुल 605 सरकारी कॉलेजों एक कॉलेज में तकरीबन 20 सीटें खाली रहती हैं और देश में कुल 605 सरकारी कॉलेज हैं। इस हिसाब से यह आंकड़ा 12,000 से पार चला जाता है। यानी कि तकरीबन बच्चों के दाखिले भर को सीटें उपलब्ध रहती हैं और इन्हीं में इनको एडजेस्ट किया जाएगा।
टेक्निकल पहलू
भारत में साढ़े 4 से 5 साल में एमबीबीएस पूरी होती है, जबकि यूक्रेन समेत अन्य देशों में 6 साल में इसे कंप्लीट किया जाता है। टेक्निकल पहलू यह है किस बच्चे को किस सेमेस्टर में दाखिला मिले। नए निर्देश अनुसार जिस बच्चे ने जितने सब्जेक्ट पूरे किए होंगे उसी आधार पर दाखिला
वन टाइम रूल से दाखिला
लीगल इश्यू
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रधान डॉ. रविंदर सिंह सेठी का कहना है कि जब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दोखिला होगा तो यहां पर मेरिट का मुद्दा उठेगा ऐसे में संभव है, इसे कोर्ट भी ले जाया जा सकता है। पंजाब डेंटल टीचर्स एसोसिएशन की डॉ. मृदु ग्रोवर अनुसार हमारे देश में किसी साल 500 तो किसी साल 600 मार्क्स वालों को दाखिला मिलता है।
एडवोकेट नरिंदर सिंह का कहना है कि एनएमसी दाखिला वन टाइम रूल के आधार पर देगी। यह आपातकाल में होता है। चूंकि यूक्रेन जंग भी आपात स्थिति है और ऐसे में इन बच्चों को दाखिला.