कोर्ट ने पति को सुनाई फांसी की सज़ा , कोर्ट ने कहा कि अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या करने वाले पर कोई रियात नही बरती जाए-आंचलिक ख़बरें-एजाज हुसैन

Aanchalik Khabre
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उत्तर प्रदेश के बरेली में पत्नी की 16 बार छुरी मारकर हत्या करने वाले पति को कोर्ट ने सजा सुनाते समय पिशाच तक कह दिया। बरेली की कोर्ट ने दोषी सिद्ध पति कठोरतम सजा के तहत फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पत्नी की हत्या को सामान्य न मानते हुए यह सजा सुनाई है।

 

आरबी लाल, बरेली: मायके रह रही पत्नी की निर्ममता से हत्या करने के आरोपी पति पर दोषसिद्ध हो जाने के बाद बरेली की अदालत ने फांसी और एक लाख रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायधीश ने सुनवाई के बाद हत्या की इस घटना को विरल से विरलतम श्रेणी का मानते हुए सजा के आदेश में लिखा है कि दोष सिद्ध रफीक अहमद उर्फ पप्पू हत्या के लिए कठोर सजा दिया जाना ही उचित है। पत्नी पर 16 वार करने वाले पति को अदालत ने पिचाश तक कह दिया।

हत्या की यह घटना पांच साल पहले 5 जून 2017 को बरेली के बिथरीचैनपुर थाने के गांव सिमरा अजूबा बेगम में अंजाम दी गई। यहां मृतका सितारा बेगम अपने मायके में रह रही थी। मृतका के पिता जमील अहमद ने बिथरीचैनपुर थाने में दर्ज कराई एफआईआर में कहा था कि उनका दामाद रफीक अहमद उर्फ पप्पू उनकी बेटी मृतका सितारा बेगम को बेहद परेशान करता था। इसकी वजह से सितारा बेगम चार-पांच महीने पहले ससुराल से मायके आकर रहने लगी थी। घटना वाले दिन सुबह करीब 11 बजे रफीक अहमद पप्पू उनके घर आया और छुरी (चाकू) से सितारा बेगम पर कई प्रहार किए, जिससे उसकी मौत हो गई। आरोप था कि अपनी पत्नी सितारा बेगम की हत्या से पहले रफीक अहमद पप्पू अपने लड़के शोएब को साथ ले जाने लगा, जिसका सितारा बेगम ने विरोध किया था। इस पर रफीक ने अपनी पत्नी सितारा को मार डाला।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि बरेली जिले के नवाबगंज के मुहल्ला कुम्हरा निवासी दोष सिद्ध रफीक अहमद पप्पू ने पत्नी के शरीर पर छुरी से 16 वार किए थे, इसीलिए अदालत ने अपने आदेश में लिखा है कि दोषसिद्ध रफीक का अपराध हत्या के सामान्य मामलों में नहीं आता, बल्कि विरल से विरलतम मामलों की श्रेणी में आता है। इस प्रकार से हत्या किए जाने के लिए अत्यंत कठोर ह्रदय और भरपूर आपराधिक मानसिकता, निर्दयता की आवश्यकता होती है। ऐसे व्यक्ति के आपराधिक चरित्र में भी किसी सुधार की गुंजाइश होना प्रतीत नहीं होता है। दोष सिद्ध का आचरण दौरान विचारण भी किसी प्रकार के पछतावे का नहीं रहा है। दोष सिद्धि के बावजूद भी दंड के प्रश्न पर सुनवाई के समय उसने मात्र अपने आप को निर्दोष होने की बात कही और न्यायालय के समक्ष कोई पछतावा होने जैसी बात नहीं कही है।
अदालत ने कहा कि रफीक ने एक ऐसी असहाय स्त्री, जो उसकी संतानों की माता भी थी और उसकी पत्नी भी थी कि हत्या क्रूरतम तरीके से पूर्वनियोजित रूप से उसके मायके जाकर की है। यह मानवीय संवदेनाओं को झकझोरने वाला कृत्य है। ऐसी परिस्थिति में दोष सिद्ध को हत्या के लिए प्रावधानित अधिकतम दंड से दंडित किया जाना न्यायोचित है।

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