विदिशा // प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ए 33 मुखर्जी नगर में होली स्नेह मिलन समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र संचालिका रेखा बहन ने होली का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहां की होली पर एक दूसरे को रंग डालते हैं अंतिम दिन होली का जलाते हैं मंगल मिलन मनाते हैं कई लोग झूले में श्री कृष्ण की झांकी भी सजाते हैं तो इनमें होलिका का शाब्दिक अर्थ यही है होली अर्थात होली सो होली बीती को बिंदी लगाकर उस से शिक्षा लेकर हमें वर्तमान में जीना चाहिए और गिले-शिकवे सभी बातों को हमें भुला देना चाहिए होली पर परमातम स्नेह का पक्का रंग लगाना चाहिए हैं छोटे बड़े परिचिता अपरिचित सभी से प्रेम भाव से मिलने की जो रीति है इसका शुरू में यही रूप था कि परमपिता परमात्मा शिव से ज्ञान प्राप्त करके मनुष्य ने पिचकारी से एक दूसरे की आत्मा रूपी चोली को रंगा था और दूसरे के प्रति मनमुटाव तथा मलिन भाव त्याग कर मंगलकारी परमात्मा शिव से मंगल मिलन बनाया था ज्ञान के बिना मनुष्य भला मंगल मिलन मना ही कैसे सकता है
अज्ञानी और मायावी मनुष्य काम, क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार, आदि राक्षसी स्वभाव से एक दूसरों का अमंगल ही करता है होली अर्थात बुराइयों को हमें छोड़ना है और अच्छाइयों को हमारे जीवन में धारण करना है एवं श्री कृष्ण की झांकी लगाकर झूले में झूलाने कि जो प्रथा है वास्तव में दर्शन का अर्थ ज्ञान अथवा पहचान है अतः श्री कृष्ण जी के दर्शन का मतलब है श्री कृष्ण जी के जीवन कहानी का वास्तविक ज्ञान जो मनुष्य को समझ के रूप में रहता है और सच्चा वैष्णव बनता है उसे तो बैकुंठ में श्री कृष्ण के झूलते हुए दर्शन होते हैं उसकी आंख तो इस कल योगी दुनिया से हट जाती है और बैकुंठ पर ही लगी रहती है वह तो इस दुनिया में रहते हुए भी मानो नहीं रहता बल्कि बैकुंठ में श्रीकृष्ण को झूलता देखता है इतना ही नहीं वह तो स्वयं भी ज्ञान आनंद के झूले में झूलता है जो एक बार उस झूले में झूलता है उसे विषय विकार फिर अपनी ओर आकर्षित नहीं करते उसके लिए होली का उत्सव मल उत्सव नहीं है ज्ञान मंथन उत्सव है। इसलिए सच्ची होली हमारी बुराइयों को जलाना है। ब्रम्हाकुमारी रुकमणी दीदी में एक्टिविटीज के द्वारा सदा खुश रहने की टिप्स बताएं व मेडिटेशन कराया अधिक संख्या में माता बहने उपस्थित रही।