सामाजिक मूल्यों की स्थापना से ही देश अमृत काल के पथ पर बढ़ पाएगा
जिला कटनी – दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के आज दूसरे दिन प्रथम तकनीकी सत्र की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुधीर खरे की अध्यक्षता में अतिथियों के स्वागत के साथ हुई। आज तकनीकी सत्र में चयनित शोध पत्र वाचकों ने अपने शोध पत्र के अंश को पढ़ा। शासकीय तिलक स्नाकोत्तर महाविद्यालय के अतिथि विद्वान अमित कुमार चौधरी ने ’ कोविड़ 19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन 2047 के संदर्भ में ’ विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। डॉ विजय कुमार ने भारतीय समाज के बुनियादी प्रश्न पर विचार करते हुए अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया। डॉ शशिकांत चंदेला ने भारत के बदलते समाज पर अपने शोध विचार प्रस्तुत किए। सपना भारती ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। महाविद्यालय में आइक्यूएसी समन्यव डॉ चित्रा प्रभात ने अमृत काल के अवसर एवं चुनौतियों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता, समृद्धि, उत्सव का महोत्सव है। अगले शोध वाचक के रूप में डॉ वीरा सिंह ने अमृत काल के दौरान तकनीक के प्रभाव और उपयोग के बारे में सभाकक्ष को अवगत कराया। ग्रामीण समाज में नई तकनीक के उपयोग को लेकर समस्याएं और संभावनाएं है उसके संदर्भ में अपने उपयोगी विचार को साझा किया। महाविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक सुनील कुमार त्रिपाठी ने अमृत काल संबंधी अर्थशास्त्र की भूमिका पर अपनी बात रखी। लैंगिक भेदभाव के संदर्भ में तथ्यात्मक संदर्भों के साथ उन्होंने अपनी बात रखी। पंकज कुमार गहरवार ने अमृत काल संबंधी चुनौतियों एवं आदर्श को लेकर अपनी बात रखी
कार्यक्रम के दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक टंडन सोनी भी उपस्थित रहें और अमृत महोत्सव के संदर्भ में अपने महत्वपूर्ण विचारों को साझा किया। भाजपा जिला उपाध्यक्ष रणवीर कर्ण भी कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहें और महाविद्यालय की ओर आइक्यूएसी समन्वयक डॉ चित्रा प्रभात ने स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया।
तकनीकी सत्र में मुख्य अतिथि के रूप डॉ बलजीत चौधरी ने अमृत काल के संदर्भ में जो नए तथ्य है उसका अवलोकन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ ललित कुमार सिंह ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में अमृत काल के दौर में हिंदी स्वराज की कल्पना को पुर्नजीवित करने पर बल दिया। छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद को याद करते हुए उन्होंने समाज में आदर्श की स्थापना पर बल दिया। सामाजिक मूल्यों की स्थापना से ही देश अमृत काल के पथ पर बढ़ पाएगा और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों पर अपनी बात रखी। तकनीकी सत्र के सम्पूर्ण बातचीत का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने शोधपुर्ण अभिव्यक्ति में भारतीय लोकतंत्र की वर्तमान दशा और दिशा अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।सेमिनार में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक सहायक प्राध्यापकों के साथ-साथ छात्र छात्राओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया,आभार प्रदर्शन डॉ माधुरी गर्ग मैडम ने किया।