कुष्ठ खोज अभियान में मिले 166 संभावित मरीज, उपचार शुरू-आंचलिक ख़बरें- हेमंत वर्मा

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० जिले को कुष्ठ मुक्त बनाने के प्रयास तेज
० विशेष पखवाड़ा में जनजागरूकता कार्यक्रमों एवं कुष्ठ जांच शिविरों का हुआ आयोजन
कबीरधाम। कुष्ठ रोग से मुक्त करने के लिए जारी प्रयासों के अंतर्गत संयुक्त टीम बनाकर जिले के शहरी क्षेत्र में कुष्ठ खोज अभियान चलाया गया तथा इसके पश्चात 30 जनवरी से 13 फरवरी तक पखवाड़ा मनाया गया। इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मार्गदर्शन और जिला कुष्ठ नियंत्रण अधिकारी के नेतृत्व में विविध जन-जागरूकता कार्यक्रमों एवं कुष्ठ जांच शिविरों का आयोजन किया गया।
चर्म रोग की रोकथाम के लिए जिले के शहरी क्षेत्र के सभी 27 वार्डों में 35 अलग-अलग स्वास्थ्य दल बनाकर चर्म रोग खोज अभियान चलाया गया। टीम द्वारा घर.घर भ्रमण कर चर्म रोग की पहचान करते हुए कुष्ठ के संभावित मरीजों की खोज की गई। जिले के लगभग 16 स्कूलों में जनजागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया व चार शिविर लगाए गए।
इन्हीं शिविरों में कुष्ठ उपचारित 13 मरीजों को एमसीआर चप्पलों व सेल्फ केयर किट का वितरण भी किया गया। स्कूल के विद्यार्थियों के साथ कुष्ठ उन्मूलन में भूमिका के बारे में विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। प्रश्नोत्तरी स्पर्धा की गई।
जिला कुष्ठ नियंत्रण अधिकारी डॉ. बीएल राज ने बताया-जिले में कुल 166 संभावित मरीज पाए गए हैं। इनमें से कबीरधाम के 53, बोड़ला के 45, पंडरिया के 42 और सहसपुर लोहारा विकासखंड के 26 मरीज शामिल हैं। जांच उपरांत सभी का उपचार भी किया जा रहा है। इसके साथ ही डॉ. राज ने यह भी बताया कि शिविर में टीबी के 23 व मोतियाबिंद के 10 संभावित मरीज मिले हैं जिन्हें उच्च जांच के लिए रेफर किया गया है। शिविरों में चारों खंड चिकित्सा अधिकारी, बीईई, कुष्ठ पर्यवेक्षकों, फिजियो थेरेपिस्ट सुभाष चौधरी का विशेष योगदान रहा।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार मंडल ने बताया-लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना स्वास्थ्य विभाग की पहली प्राथमिकता है। मरीजों की राहत के लिए अस्पतालों की सुविधाओं में लगातार विस्तार किया जा रहा है। इसी कड़ी में चर्म रोग पीड़ित की पहचान करने हेतु जिले के शहरी क्षेत्र में 3,088 घरों का सर्वे किया गया। इसमें 14,657 लोगों की जांच की गई। इस सर्वे को फिलहाल कबीरधाम शहरी क्षेत्र में ही चलाया गया है और इसकी सफलता को देखते हुए आगामी समय में इस तरह का सर्वे संपूर्ण जिले में करवाया जाएगा। उन्होंने कहा, किसी भी बीमारी से घबराने या छुपाने के बजाए तत्काल चिकित्सक से संपर्क करके उसका उपचार करवाना उचित होता है, क्योंकि जितनी जल्दी बीमारी पकड़ में आती है उतनी जल्दी उपचार करके उसको ठीक किया जा सकता है। इस दौरान 3 फरवरी को बोड़ला के भलपहरी, 7 फरवरी को पंडरिया के जंगलपुर, 9 फरवरी को कबीरधाम के सूखाताल व 11 फरवरी को सहसपुर लोहारा के गोछिया में जांच शिविर आयोजित किए गए।
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कुष्ठ के यह हो सकते हैं लक्षण-
त्वचा पर उभार होना, हाथों, बांहों, पैरों और पैर के तलवों में सुन्नता का अनुभव होना, नाक से लगातार अथवा बार-बार खून निकलना और नाक से पानी बहना, शरीर पर ऐसे घाव होना जिसे छूने पर दर्द का अनुभव ना हो, शरीर के घाव का कई हफ्तों और महीनों तक ठीक ना होना, पैरों के तलवों में अल्सर होना, त्वचा मोटी, कठोर और शुष्क होना तथा आंख में परेशानी और उसके कारण दृष्टि संबंधी समस्या होना कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं।

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