शामली जिले के कैराना कोतवाली क्षेत्र के गांव मुकुंदपुर में मंगलवार को एक छोटे से विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। रास्ते पर भैंस बांधने को लेकर उपजा तनाव खूनी संघर्ष में बदल गया। इस झगड़े में लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से लैस दबंगों ने एक परिवार पर जानलेवा हमला कर दिया, जिसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है बल्कि यह भी दिखाती है कि किस प्रकार छोटे-छोटे विवाद आपसी रंजिश का कारण बनकर हिंसा में बदल जाते हैं। इस झगड़े ने पूरे गांव को दहशत में डाल दिया है और लोग इसे लेकर चिंता में हैं।
गांव मुकुंदपुर निवासी दिलशाद ने कोतवाली पुलिस को दी तहरीर में बताया कि गांव के ही इरफान और अफसर प्रतिदिन उसके मकान के पास सड़क पर अपनी भैंसों को बांध देते थे। इस कारण हर समय वहां गोबर और गंदगी जमा रहती थी, जिससे आम लोगों को परेशानी होती थी।
दिलशाद के अनुसार, उसने कई बार इरफान और अफसर को इस बारे में समझाया, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे। कई बार टोकने के बावजूद वे अपनी भैंसों को वहीं बांधते रहे, जिससे न केवल बदबू और गंदगी फैलती थी, बल्कि वहां से आने-जाने वाले लोगों को भी परेशानी होती थी।
इस मामले को लेकर दिलशाद और इरफान-अफसर के बीच पहले भी कहासुनी हो चुकी थी। मामला इतना बढ़ गया कि दिलशाद को मजबूरन डायल 112 पर पुलिस को सूचना देनी पड़ी। पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों के बीच समझौता करा दिया। उस वक्त ऐसा लगा कि अब यह झगड़ा खत्म हो गया, लेकिन मामला यहीं शांत नहीं हुआ।
हालांकि पुलिस की समझाइश के बाद विवाद थमता नहीं दिखा। इरफान और अफसर अंदर ही अंदर बदले की भावना से जल रहे थे। वे दिलशाद से नाराज थे कि उसने पुलिस बुलाकर मामले को तूल दे दिया। इसी गुस्से में उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर दिलशाद के परिवार पर हमला करने की साजिश रची।
मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे, जब दिलशाद अपने परिवार के लोगों के साथ घर में मौजूद था, तभी अचानक इरफान, अफसर, नवाब, इमरान, सुहाना और शकीला हाथों में लाठी-डंडे और धारदार हथियार लेकर उसके घर में घुस आए।
दिलशाद के अनुसार, हमलावरों ने घर में घुसते ही गाली-गलौज शुरू कर दी। उन्होंने पुरानी रंजिश निकालने के लिए सीधे उसके भाई फुरकान और भाभी जुलेखा पर हमला बोल दिया।
हमलावरों ने कहा, “तूने पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत कैसे की?” इसके बाद उन्होंने लाठी-डंडों से ताबड़तोड़ प्रहार शुरू कर दिए। फुरकान और जुलेखा ने खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उन्हें पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया।
फुरकान को सिर और पीठ पर गंभीर चोटें आईं, जबकि जुलेखा के हाथ और पैर में गंभीर घाव हो गए।
इस दौरान घर से निकल रही चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे। जब गांववालों ने देखा कि फुरकान और जुलेखा को बेरहमी से पीटा जा रहा है, तो उन्होंने बीच-बचाव किया।
ग्रामीणों को आता देख हमलावर वहां से भाग खड़े हुए। लेकिन इस हमले में फुरकान और जुलेखा को गंभीर चोटें आईं।
घटना के बाद दिलशाद ने तुरंत डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और घायलों को लेकर सरकारी अस्पताल कैराना पहुंची।
डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि दोनों की हालत गंभीर है, इसलिए उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
इस मामले में कोतवाली प्रभारी निरीक्षक बिजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि “दो पक्षों में मारपीट हुई है, घायलों का मेडिकल कराया जा रहा है। अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन मामले की जांच जारी है।”
पुलिस अधिकारियों ने यह भी कहा कि यदि पीड़ित पक्ष तहरीर देता है, तो हमलावरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। पीड़ित परिवार दहशत में है, क्योंकि हमलावर अभी खुलेआम घूम रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस ने जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया, तो यह मामला और ज्यादा बिगड़ सकता है।
इस घटना से यह साफ हो गया है कि एक मामूली सा विवाद भी किस तरह से हिंसक संघर्ष में तब्दील हो सकता है।
छोटे विवाद का बढ़कर जानलेवा हमला बन जाना, पहले समझौता होने के बावजूद पुरानी रंजिश खत्म न होना, गांव में दबंगई का माहौल बन जाना और हमलावरों की गिरफ्तारी न होने से पीड़ित परिवार में डर का माहौल बना हुआ है।
पुलिस की जांच पूरी होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना है।
यदि दिलशाद तहरीर देता है, तो इरफान, अफसर, नवाब, इमरान, सुहाना और शकीला के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया जा सकता है।
इस मामले में 307 (हत्या का प्रयास), 147 (गैरकानूनी रूप से भीड़ बनाना), 323 (मारपीट कर चोट पहुंचाना) और 504 (जानबूझकर अपमान करना) जैसी धाराएं लग सकती हैं।
यदि आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो गांव में तनाव और बढ़ सकता है।
इस घटना ने यह दिखाया कि गांवों में छोटी-छोटी बातों को लेकर कैसे झगड़े बड़े संघर्ष में बदल सकते हैं।
एक छोटे से विवाद से कैसे हिंसा भड़क सकती है, पुलिस की मौजूदगी के बावजूद भी अपराधियों का हौसला बुलंद रहना और दबंगों की मानसिकता और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े होना, यह सब सोचने पर मजबूर करता है।
फिलहाल, पुलिस इस मामले में गहराई से जांच कर रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा? क्या पुलिस आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर सकेगी