इसके निमित्त 50 से अधिक बच्चों ने वैदिक रीति-रिवाज अनुसार हवन में आहुती देकर, अक्षत पात्र तथा स्लेट पर हरि श्री गणेशाय नमः लिखकर विद्यारंभ किया। हमारी परम्परा में मानव जीवन को पवित्र व मर्यादित बनाने के लिए 16 संस्कारों का आविष्कार किया है जिसमें ‘‘विद्यारंभ संस्कार’’ भी एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है।
बसंत पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ होता है साथ ही यह माँ सरस्वती का अवतरण दिवस भी है। माँ सरस्वती को विद्या, ज्ञान, वाणी, संगीत तथा बुद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए बसंत पंचमी का यह दिन विद्यारंभ संस्कार के लिए शुभ माना गया है।
इस शुभ दिवस को बच्चों के लिए आनन्ददायक बनाने हेतु संस्था द्वारा विद्यालय प्रांगण को आकर्षक गुब्बारों व पुष्प हार, व रांगोली बनाकर सुसज्जित किया गया। साथ ही नवीन आगंतुक बच्चों को उनके पालक के साथ पारंपरिक वेशभूषा में बुलवाया गया जिसमें बच्चे अपने पालक के साथ विभिन्न प्रकार की पारंपरिक वेशभूषा में विद्यालय आए। नवीन आगंतुक बच्चों को तिलक लगाकर व गुलाब का पुष्पगुच्छ देेकर स्वागत किया गया तथा गुब्बारे, चाॅकलेट उपहार स्वरूप भेंट किये गये।
संस्था के संचालक मयंक रूनवाल व अथर्व शर्मा ने सभी पालकगण तथा बच्चों सहित पूरे स्टाॅफ को बधाई दी। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती शचि भार्गव ने किया।