कानपुर में शिखर पान मसाला पर जीएसटी का छापा

Aanchalik Khabre
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कानपुर में बड़ा खुलासा! शिखर पान मसाला पर स्टेट जीएसटी का शिकंजा — करोड़ों की टैक्स चोरी के संकेत, उद्योग के काले सच का पर्दाफाश

कानपुर, उत्तर प्रदेश।

शहर में शुक्रवार सुबह का माहौल अचानक बदल गया। ट्रकों की आवाजाही, फैक्ट्री परिसर में हलचल और प्रशासनिक वाहनों की कतार ने लोगों का ध्यान खींचा। वजह थी — शिखर पान मसाला पर स्टेट जीएसटी विभाग की बड़ी कार्रवाई। 30 अधिकारियों की टीम ने एक साथ 7 ठिकानों पर छापेमारी की और करोड़ों की टैक्स चोरी के सुराग मिलने के संकेत दिए।

कार्रवाई की शुरुआत — तीन ट्रक और बड़ा सुराग

कुछ दिन पहले स्टेट जीएसटी विभाग ने बिना ई-वे बिल के तीन माल लदे ट्रक पकड़े थे। जांच में पता चला कि ये ट्रक शिखर पान मसाला से जुड़े कारोबारी नेटवर्क का हिस्सा थे। इसमें लदे माल की वैधता पर सवाल उठने लगे, और यहीं से शुरू हुई बारीकी से निगरानी।

राज्य के प्रमुख सचिव के निर्देश पर कार्रवाई का दायरा बढ़ा। शुक्रवार को शहर के ट्रांसपोर्ट नगर, आर्य नगर, किदवई नगर समेत सात अलग-अलग लोकेशन पर एक साथ छापेमारी हुई।

स्टेट जीएसटी के एडिशनल कमिश्नर आईएस विद्यार्थी ने बताया —

“जांच में कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। दस्तावेज़ों से ऐसे सुराग मिले हैं जो आगे की कार्रवाई का आधार बनेंगे।”

सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को स्टॉक, इनवॉइस और लेनदेन से जुड़ी संदिग्ध जानकारियां मिली हैं। शुरुआती जांच में ही करोड़ों की टैक्स चोरी के संकेत मिल चुके हैं।

टैक्स चोरी — सरकार और देश को कितना नुकसान?

भारत में पान मसाला उद्योग अरबों रुपये का है, लेकिन इसमें टैक्स चोरी के मामले बार-बार सामने आते हैं। टैक्स चोरी का सीधा असर सरकारी राजस्व पर पड़ता है। यह पैसा सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं में इस्तेमाल हो सकता था, लेकिन ग़ैरकानूनी तरीकों से बचाया जाता है।

सरकार ने पान मसाला और गुटखा जैसे उत्पादों पर उच्च कर दर (जीएसटी 28% + सेस) लगाई है, लेकिन कई कारोबारी अंडर-इनवॉइसिंग, नकली बिलिंग और नकद लेनदेन के जरिए टैक्स से बच निकलने की कोशिश करते हैं।

पान मसाला — सिर्फ टैक्स चोरी नहीं, सेहत के लिए ज़हर

छापेमारी की खबर के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि पान मसाला का असली खतरा सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा है।

वैज्ञानिक और चिकित्सकीय तथ्य बताते हैं:

  • पान मसाले में तंबाकू, सुपारी, चूना, और मीठे फ्लेवर होते हैं, जो मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, और पाचन तंत्र की बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • सुपारी को WHO ने कार्सिनोजेन (कैंसर पैदा करने वाला तत्व) की श्रेणी में रखा है।
  • लंबे समय तक सेवन से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस होता है, जिसमें मुंह खुलना मुश्किल हो जाता है।
  • यह लत इतनी गहरी होती है कि लोग दिन में कई बार इसका सेवन करने लगते हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है।

पान मसाला उद्योग के अंदर के खेल

पान मसाला कारोबार में कई ग़लत प्रथाएं आम हैं:

  1. कच्चे माल की अंडर-रिपोर्टिंग — उत्पादन कम दिखाकर टैक्स घटाना।
  2. बोगस कंपनियों के नाम पर बिलिंग — ताकि ट्रैक न हो सके।
  3. नकली पैकेजिंग — कम गुणवत्ता वाला माल नामी ब्रांड के नाम पर बेचना।
  4. कैश में बड़े लेनदेन — बैंक रिकॉर्ड से बचने के लिए।

इन सबके चलते न सिर्फ राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ होता है।

नियम और सख्ती — लेकिन लागू करने में चुनौतियां

पान मसाले पर नियंत्रण के लिए भारत में कई नियम हैं:

  • COTPA (Cigarettes and Other Tobacco Products Act) — तंबाकू युक्त पान मसाले पर सख्त लेबलिंग, चेतावनी और विज्ञापन प्रतिबंध।
  • FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) — खाने योग्य पदार्थों में हानिकारक रसायनों पर रोक।
  • कई राज्यों में गुटखा और तंबाकूयुक्त पान मसाला पर पूरी तरह से प्रतिबंध।
  • जीएसटी में पान मसाला पर 28% टैक्स और उच्च सेस लागू।

लेकिन ग्राउंड लेवल पर निगरानी की कमी, रिश्वतखोरी और राजनीतिक दबाव के कारण यह उद्योग अक्सर नियमों से बच निकलता है।

उद्योग में हड़कंप — डर की लहर

कानपुर में हुई इस कार्रवाई के बाद शहर के अन्य पान मसाला कारोबारियों में भी सन्नाटा है। कारोबारियों को डर है कि अगले चरण में कार्रवाई उन तक भी पहुंच सकती है।

एक स्थानीय व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा

“ये पहली बार है कि बड़े ब्रांड पर इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है। आमतौर पर छोटे कारोबारियों को ही निशाना बनाया जाता था।”

आगे क्या?

स्टेट जीएसटी विभाग का कहना है कि हर दस्तावेज की गहन जांच होगी और अगर टैक्स चोरी के पुख्ता सबूत मिले, तो भारी जुर्माना, संपत्ति कुर्की और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

विभाग की सख्ती का संकेत साफ है — अब बड़े ब्रांड भी कानून से ऊपर नहीं हैं।

अंत में

शिखर पान मसाला पर हुई कार्रवाई सिर्फ एक टैक्स चोरी का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत के पान मसाला उद्योग के काले सच की एक झलक है। यह उद्योग जहां एक ओर अरबों का मुनाफा कमा रहा है, वहीं दूसरी ओर देश की सेहत और खजाने दोनों पर चोट कर रहा है।

जब तक नियमों का ईमानदारी से पालन और सख्ती से अमल नहीं होगा, तब तक न तो टैक्स चोरी रुकेगी और न ही इस हानिकारक आदत से समाज को बचाया जा सकेगा।

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