एक तरफ न्याय की देवी मैं वकीलों का काम न्याय दिलाना है, दूसरी तरफ पत्रकारों को काम भी झूठ का पर्दाफाश करना है, वकील और पत्रकार का काम न्याय पर्दाफाश करना है, पुलिस प्रशासन इन दोनों की पीछे क्यों लगी रहती है, उन्हें हर समय बेजती करना, इन दोनों से अच्छे से बात नहीं करना, क्या यह न्याय संगत पुलिस के लिए है, एक वकील को धक्का देकर भगा देना, कई पत्रकारों को झूठे मामले में फंसा देना, क्या यही काम पुलिस का रह गया है.
अधिवक्ता को थाने से धक्के देकर दरोगा ने भगाया, आरोपी से मिलने थाने गए थे, सरकार को सोचना चाहिए, यह दोनों व्यक्ति दिन रात अपना काम ईमानदारी से करते हैं, पर पुलिस के सामने इनकी इज्जत क्यों होती?