DTA ने सीनियर प्रोफेसर के पदों पर पदोन्नति करने के लिए डीयू कुलपति को लिखा पत्र-आँचलिक ख़बरें-राजेश शर्मा

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नई दिल्ली (राजेश शर्मा)- ‌‌ आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर पी.सी. जोशी और डीन ऑफ कॉलेजिज डॉ. बलिराम पाणी को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में प्रोफेसर से सीनियर प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति करने की मांग की है। साथ ही उनके द्वारा शिक्षकों की पदोन्नति का कार्य सुचारू रूप से किए जाने पर उनकी पूरी टीम को बधाई दी है और कहा है कि उनके नेतृत्व में पिछले आठ महीने से चल रही पदोन्नति की प्रक्रिया से विभागों व कॉलेजों में खुशी का माहौल है।
डॉ. सुमन ने कहा है कि जिस गति से कॉलेजों में प्रोफेसर बनाए जा रहे है उसी गति से विभागों के प्रोफेसरों को सीनियर प्रोफेसर बनाया जाए।
डीटीए प्रभारी डॉ . हंसराज सुमन ने बताया है कि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में प्रोफेसर से सीनियर प्रोफेसर के पदों पर हो रही पदोन्नति की प्रक्रिया को डीटीए आपके संज्ञान में लाना चाहता है। यूजीसी रेगुलेशन—2018 के अनुसार विभागों में कार्यरत प्रोफेसर पद से सीनियर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत होने के लिए 10 वर्षों के अकादमिक अनुभव की आवश्यकता होती है लेकिन देखने में आया है कि हिंदी ,संस्कृत ,उर्दू आदि विभागों में उन्हीं प्रोफेसर के आवेदन पत्र को सीनियर प्रोफेसर की चयन प्रक्रिया ( स्क्रीनिंग ) के लिए स्वीकृत किया जा रहा है को जो हाल फिलहाल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं । जबकि यूजीसी रेगुलेशन –2018 के नियमानुसार 10 वर्ष पूर्ण किए सभी प्रोफेसर को सीनियर प्रोफेसर बनाया जाना चाहिए । हिंदी विभाग के एक प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने 7 महीने पहले सीनियर प्रोफेसर के लिए आवेदन किया था लेकिन अभी तक स्क्रीनिंग नहीं हुई है।उनका कहना है कि कई विभागों में प्रोफेसर से सीनियर प्रोफेसर पर पदोन्नति के लिए आवेदन किया है ।
डॉ. सुमन का कहना है कि सीनियर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए विभागों के शिक्षकों ने आमंत्रित आवेदन को प्रस्तुत किए 7 माह बीत चुके हैं परन्तु विश्वविद्यालय द्वारा इस संदर्भ में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सूत्रों से पता चला है कि विश्वविद्यालय उन लोगों को प्राथमिकता से सीनियर प्रोफेसर बनाना चाहता है जो सेवानिवृत्त होने वाले हैं। यदि ऐसा है तो जो लोग 10 वर्ष से अधिक समय से प्रोफेसर के पद पर हैं उनके साथ यह अन्याय होगा। डीटीए मांग करता है कि— वे शिक्षक जो प्रोफेसर के पद पर 10 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं उन सभी को सीनियर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए। साथ ही जो प्रोफेसर ,सीनियर प्रोफेसरशिप की अर्हताएं पूरी कर रहे हैं जिन्हें 10 वर्ष का अनुभव पूर्ण कर लिया हो ,जिनका बेहतर अनुसंधान करने, कराने, प्रकाशन तथा विभागीय दायित्व में निरंतर भागेदारी का रिकॉर्ड रहा हो उन्हें बिना किसी भेदभाव ,उम्र या किसी अन्य स्तर पर सीनियर प्रोफेसर बना दिया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सीनियर प्रोफेसर पद के लिए एससी/एसटी/ ओबीसी ( SC /ST OBC ) प्रोफेसर को भी वरीयता क्रम से पदोन्नति मिले।

डॉ. सुमन का कहना है कि विश्वविद्यालय को पदोन्नति की प्रक्रिया में अकादमिक सेवा शर्तों पर ध्यान देना चाहिए न कि प्रोफेसर की सेवानिवृत्त के आयु क्रम को देखना चाहिए। वे प्रोफेसर जो 10 वर्षों से शिक्षण कार्य में संलग्न हैं, जो महत्वपूर्ण शोधकार्य करा रहे हैं, जिनकी प्रकाशित पुस्तकें विशेष चर्चा में रही हैं, जो विभिन्न विश्वविद्यालयों में सेमिनार में आमंत्रित किए जाते हैं,जिनका स्नातकोत्तर स्तर पर विश्वविद्यालय में शिक्षण अनुभव रहा हो ,जिन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त है, उन्हें पदोन्नति में विशेष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसे प्रोफेसर जो सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं और यूजीसी की पदोन्नति संबंधी सेवा शर्तों को पूरा नहीं करते हैं उन्हें पदोन्नति क्यों दी जाए ? जो प्रोफेसर यूजीसी रेगुलेशन—2018 की योग्यता पूर्ण करते हैं उन्हें पदोन्नति से रोका भी नहीं जाना चाहिए ।

उनका कहना है कि डीटीए के ज्ञापन व मांग पत्र पर विश्वविद्यालय प्रशासन अवश्य ध्यान देगा और जिन प्रोफेसरों ने 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं व यूजीसी रेगुलेशन—2018 की सभी शर्तो को पूरा करते हैं उन्हें प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द पदोन्नति दी जाए।

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