हीरे की तरह चमकी पन्ना की बेटी प्रज्ञा सिंह-आँचलिक ख़बरें-महबूब अली

News Desk
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पन्ना जिले कि युवा बेटी प्रज्ञा सिंह हीरे कि तरह चमकी जिले सहित देश का नाम किया रौशन ।

1. अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष।

2. हीरे कि तरह चमकि पन्ना कि बेटी प्रज्ञा सिंह ।

3. साधारण किसान की बेटी ने तलवार बाजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पन्ना जिले का नाम किया रोशन।

4.तलवार बाजी में राष्ट्रीय स्तर पर भी प्राप्त किये लगभग 11 मैडल।

5.अब अंतरष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर मेडल हासिल किया ।

जिले में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन को प्रोत्साहन एवं सहयोग ना मिलने की वजह से, आज कई प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं । लेकिन इन सबके बावजूद, जिले के एक छोटे से ग्राम निवारी के किसान की बेटी ने, अभावों के बीच संघर्ष करते हुए, तलवारबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 11 मेडल एवं, हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जिले एवं देश का परचम लहराते हुए, अंतरराष्ट्रीय एशियन जूनियर कैडेट फेंसिंग चैंपियनशिप में, सिल्वर मेडल प्राप्त कर, पन्ना जिले का नाम रोशन किया है। बतादें कि, इसका आयोजन उज्जबेकिस्तान में हुआ था. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देखिए किसान की बेटी प्रज्ञा की उड़ान.
जिले के छोटे से गांव निवारी में रहने वाले किसान नरेंद्र सिंह चौहान की बेटी, 18 वर्षीय प्रज्ञा सिंह चौहान जो कि, एक साधारण कृषक की बेटी हैं, परिवार का जीवन भी बड़ा संघर्षशील रहा, प्रज्ञा की दो और बहने हैं, प्रज्ञा के दादा ने बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए, अपनी जमीन बेचकर, उनकी पढ़ाई लिखाई करवाई. इसके साथ ही प्रज्ञा ने तलवारबाजी पकड़ी और, ट्रेनिंग शुरू कर दी. धीरे-धीरे रुझान बढ़ता गया. और वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक के विनर को टीवी में तिरंगा झंडा ओढ़े हुए, अपना इंटरव्यू देते हुए सुना. जिसके बाद प्रज्ञा के मन में भी उनके जैसा बनने का विचार आया, ग्वालियर में खेल एकेडमी में पुरस्कार वितरण समारोह में, खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के एक बयान कि, सोच बड़ी रखो और खुद पर काम करो, आप भी देश के लिए रोल मॉडल बन सकते हो, को सुनने के बाद उससे सीख ली. और प्रज्ञा ने अपने गेम पर पूरा ध्यान दिया, और खूब मेहनत की. लेकिन फिर भी वह हार जाती थी. बावजूद इसके प्रज्ञा लगातार संघर्ष करती रही. और सब कुछ छोड़कर केवल ट्रेनिंग पर ध्यान देती रही. इन सबके बीच प्रज्ञा की मां की मृत्यु भी हो गई, जिसके बाद प्रज्ञा को लग रहा था कि, शायद अब वह वापस खेल की ओर नहीं जा पाएगी. लेकिन दादा और पापा के समझाने पर, उसने भोपाल में आकर खूब मेहनत की, और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक अर्जित किए. प्रज्ञा बताती हैं कि, राष्ट्रीय स्तर पर वह 11 पदक अर्जित कर चुकी है. जिसका श्रेय वह मध्य प्रदेश राज्य खेल अकादमी, और अपने कोच भूपेंद्र सिंह को देती हैं. इन्हीं सबके सहयोग और प्रेरणा की वजह से, प्रज्ञा ने जूनियर एशियन प्रतियोगिता में पदक अर्जित किया है. प्रज्ञा का सपना है कि, वह आगे भी देश के लिए पदक अर्जित करें. और ओलंपिक तक पहुंचे।

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