नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन और हिंसा के बाद हो रही कार्यवाही पर राज्य सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बहुत राहत मिली है | न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने लखनऊ के अधिवक्ता रजत गंगवार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जनतंत्र में सरकार के विरोध में आवाज उठाने और प्रदर्शन का नागरिकों को मूल अधिकार प्राप्त है, लेकिन यह दूसरों के मूल अधिकारों के विरोध में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता | लोगों को सड़क पर जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है ,लेकिन उस दौरान किसी जरूरी सेवाओं जैसे एंबुलेंस , फायर ब्रिगेड आदि को रोका नहीं जा सकता | इसके साथ ही अपने अहम निर्णय में कोर्ट ने कहा कि अगर कोई जनसमूह प्रदर्शन पर निकलता है और उस दौरान हिंसा होती है ,तो हिंसा की पूरी जिम्मेदारी उस समूह की होगी ,वह यह कहकर अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता कि हिंसा बाहरी लोगों द्वारा की गई है | कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए राज्य सरकार को उचित कानूनी कार्यवाही का पूरा अधिकार होगा |