कैंसर से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी-आंचलिक ख़बरें-शहजाद अहमद

News Desk
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भारत में कैंसर के मामलों में निरंतर वृद्धि
बढ़ती आबादी के साथ गतिहीन जीवनशैली और खान-पान की खराब आदतों के कारण कैंसर के मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। कैंसर को समझने में हालिया प्रगति ने हमें कैंसर को रोकने और उसके इलाज के लिए बेहतर रणनीति विकसित करने में मदद की है। हम जोखिम वाले कारकों जैसे धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता आदि से निपटने के लिए तैयार हैं। लगभग दो तिहाई कैंसर इस प्रकार के जोखिम कारकों के कारण होते हैं और कुछ आनुवंशिक कारकों के कारण भी होते हैं। इसलिए, जागरूकता बढ़ाने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पटपड़गंज, ने आज बरेली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।
भारत में 22 लाख से ज्यादा लोग कैंसर के निदान के साथ जी रहे हैं, और हर साल कैंसर के 11 लाख नए मामले देखने मिलते हैं। हर साल लगभग 8 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं और यह भारत में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। बीमारी के इस बड़े बोझ और कैंसर के निदान के बाद पीड़ित और पीड़ित के परिवार के जीवन में बदलाव के साथ इस घातक बीमारी की चुनौतियों से लड़ने के लिए समाज में जागरुकता बढ़ाना आवश्यक है।
निदान, सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोनल और इम्यूनोथेरेपी सहित बीमारी से लड़ने के लिए उपलब्ध विभिन्न प्रबंधन रणनीतियों की जागरूकता रोकथाम के लिए सही विकल्प बनाने में एक लंबा रास्ता तय करती है। कैंसर के लक्षण काफी हद तक अन्य बीमारियों की तरह होते हैं, इसलिए समय पर निदान ही जीवन के लिए बेहतर साबित होता है। अगर कोई लक्षण चार सप्ताह तक बना रहता है, तो डॉक्टर से जांच करवाकर कैंसर का पता लगाना चाहिए। यह एक बड़ा सच है कि जो व्यक्ति निदान में देरी करता है उसका कैंसर गंभीर होता जाता है। जैसे ही कैंसर की अवस्था I से IV तक बढ़ती है, उपचार चुनौतीपूर्ण होता जाता है। इसलिए, निदान में कभी देरी न करें।
पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्ट, डॉक्टर आलोक नारंग ने बताया कि, “तंबाकू, शराब और धूम्रपान के सेवन के साथ खराब जीवनशैली कैंसर के जोखिम को दोगुना कर देती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपने जीवन में बदलाव लाएं और साथ ही एनुअल हेल्थ चेकअप भी सामान्य रूप से आवश्यक है। इससे समय रहते बीमारियों का निदान करने में मदद मिलती है और इलाज भी सही समय पर संभव हो जाता है। आज टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ कैंसर का इलाज चौथे चरण तक संभव हो गया है लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।”

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