दमोह। कुंडलपुर महा महोत्सव के प्रारंभिक चरण से लेकर अब तक दमोह के कुछ युवा मुनि सेवा समिति के माध्यम से गुरुदेव की दिन-रात सेवा में लगे हुए हैं आचार्य श्री के तिलवारा घाट बिहार के बाद से कुंडलपुर पहुंचने तक और कुंडलपुर से बिहार करने के बाद आज तक यह लोग निरंतर आचार्य श्री के साथ उनके बिहार में सम्मिलित रहते हैं रास्ते में होने वाली आहार चर्या से लेकर कुंडलपुर में विगत 2 माह चली आहार चर्या में भी इन्हीं लोगों की भूमिका प्रमुख होती है आचार्य श्री के साथ सैकड़ों किलोमीटर बिहार कर यह समिति आज भी जहां गुरुदेव जाते हैं वहां तक पैदल बिहार करती है मुनि सेवा समिति के प्रभारी मोनू गांगरा, मोनू चौधरी, दीपेश जैन, दर्शन जैन, प्रासुक जैन, केशर जैन, सिद्धार्थ जैन, अंकेश जैन, नानू जैन, आदर्श जैन, पारस जैन, अनु जैन, बिट्टू सराफ सहित करीब 20-25 युवा हमेशा गुरुदेव के साथ उनकी परछाई बनकर चलते हैं, वैसे तो महोत्सव में 70 के करीब समितियां बनी थी किंतु इस समिति का काम सबसे अलग है, सबसे मेहनती है जिसका निर्वहन पूरी समिति बखूबी कर रही है। इस समिति की एक और खास बात यह है कि जब सारे लोग मंच और नाम के लिए आगे आगे होते हैं, इस समिति में कोई भी सदस्य ऐसा नहीं दिखाई दिया जो इस प्रकार की गतिविधि में शामिल रहा हो सभी लोग निस्वार्थ भाव से गुरुदेव की सेवा में लगे रहे।
आचार्य श्री विद्यासागर जी का रात्रि विश्राम हजगज में
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की पूजन सुबह टोल प्लाजा बांदकपुर पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने किया और आचार्य श्री ने सभी भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया, तदुपरांत आहार चर्या भी टोल टैक्स के स्टाफ रूम में सम्पन्न हुई। दोपहर बाद आचार्य श्री का संघ सहित विहार सिंगपुर, टिकरी होते हुए विहार हुआ, बांदकपुर चौराहे से सिद्ध क्षेत्र बांदकपुर के मार्ग का निर्माण कार्य चलने के कारण वैकल्पिक मार्ग से शुक्रवार की संध्या काल में विहार करते हुए हलगज पहुंचे गुरुदेव।आचार्य श्री के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री समता सागर जी, मुनि श्री बीर सागर जी, आर्यिका माताजी ने विहार में साक्षी बने और साथ साथ हजारों श्रद्धालु पीछे पीछे चल दिए। भक्तों के सारे अनुमान धरे के धरे गए जब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज टोल प्लाजा से ग्रामीण क्षेत्रों के मार्ग से होते हुए सिंगपुर टिकरी होते हुए हलगज पहुंचे।
क्या है आगामी संभावना
हलगज के पास चंडी चोपरा ग्राम है जहां शांतिनाथ भगवान की अति प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, साथ ही यहां विगत 2 वर्षों से पंचकल्याणक महामहोत्सव की सारी तैयारियां समाज ने पूर्ण करके रखी है, जैन समाज चाहती है आचार्य श्री के सानिध्य में यह आयोजन हो, दूसरा विकल्प आचार्य श्री की तपोभूमि कोनी जी भी हो सकती है इसके अलावा दयोदय तीर्थ क्षेत्र बीना बारह पहुंचने की संभावना भी लोगों द्वारा व्यक्त की जा रही है आगे गुरुदेव की मर्जी जिसका पता लगा पाना संसारी प्राणियों के बस के बाहर की बात है।
3 महीने से सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं मुनि सेवा समिति के युवा-आंचलिक ख़बरें-मुकेश जैन

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