गुरुग्राम शहर के नाथुपुर (समादी) इलाके में “सोलर सखी” प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक खास “सीखें और बनाएं” सौर ऊर्जा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह पहल आर्टेमिस हॉस्पिटल्स की CSR गतिविधियों के अंतर्गत पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण समिति, भोपाल के सहयोग से नेपालित रूप से शुरू की गई है
इस प्रशिक्षण सत्र में 30 महिला लाभार्थियों ने भाग लिया — उनमें से प्रत्येक को सौर लालटेन और पैनल सहित मोबाइल चार्जिंग स्लॉटवाला एक-किट नि:शुल्क प्रदान किया गया। मास्टर ट्रेनर परवीन इत्तन, एलिस एमब्रोसिया और सीमा बिबोर्था ने महिलाओं को सौर ऊर्जा की बुनियादी तकनीकी जानकारी देने के साथ ही, लालटेन असेंबल करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया।
प्रशिक्षण की दिनचर्या और अनुभव
प्रशिक्षण का प्रारंभ साडे़ घंटे तक तकनीक‑बोध से हुआ—जिसमें शामिल था:
सौर पैनल का कार्य तंत्र,
बैटरी और चार्जिंग सर्किट की समझ,
लालटेन के पार्ट्स असेंबल करना,
मोबाइल चार्जिंग स्लॉट को जोड़ना।
मास्टर ट्रेनर परवीन इत्तन द्वारा सेफ्टी प्रोटोकॉल, रोट पॉवर मॉपिंग और मेंटेनेंस टिप्स पर विशेष जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने न सिर्फ लैब में सीखने के लिए उत्साह दिखाया, बल्कि उन्होंने सप्ताहांत पर साझा अनुभवों में अपनी घर‑घर की जरूरतों में सौर ऊर्जा के उपयोग की कल्पना प्रस्तुत की।
साझेदारी और सामाजिक प्रभाव
समिति के अध्यक्ष आनंद पटेल ने बताया कि यह पहल न केवल पारंपरिक प्रशिक्षण है, बल्कि झुग्गी‑बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा और आजीविका से जोड़ने की दिशा में सार्थक प्रयास है। सोलर सखी बनने से महिलाएं न:
उधार लेने की बजाय अपनी—अपनी व्यवसाय शुरू कर सकती हैं,
गांव‑मोड़ी वालों को सौर लाइट बेच सकती,
और परिवार और समुदायों में सौर जागरूकता फैला सकती हैं।
यह मॉडल जिस प्रकार से आर्थिक सशक्तिकरण और पर्यावरण जागरूकता को जोड़ता है, वह बुनियादी स्तर पर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
औपचारिक शुभारंभ 7 अगस्त 2025 को
“सोलर सखी” परियोजना की औपचारिक शुरुआत 7 अगस्त 2025 को वजीराबाद स्थित कम्युनिटी सेंटर में की जाएगी। यह विशेष समारोह आर्टेमिस हॉस्पिटल्स की चेयरपर्सन शालिनी कन्वर चंद द्वारा संपन्न होगा। इस अवसर पर शामिल होंगे:
CSR प्रमुख डॉ. सुजाता सोय,
जतिन सिंह, रमेश गोयल, ज्योति स्वरुप गौर, ज्योति पाण्डेय, राहुल सोलापुरकर और दीपक विजयवर्गीय।
एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सौर ऊर्जा के महत्व और सुविधाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी—जो दर्शकों को सहजता से जोड़ने वाला और प्रभावी संदेश होगा।
आगे की विस्तार योजनाएं
बोर्ड मेंबर परवीन इत्तन ने बताया कि परियोजना अगली लहरों में वजीराबाद, तिगरा, सिकंदरपुर घोषी, ईस्ट ऑफ कैलाश और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में भी संचालित की जाएगी। यह विस्तार रणनीति विविध समुदायों तक प्रभावी पहुँच की दिशा में नयापन लाती है।
हर नई इकाई में 30 के समूह बनाए जाएंगे, ताकि प्रत्येक महिला को व्यक्तिगत ध्यान मिल सके। फिरसे प्रशिक्षण, किट वितरण और प्रोजेक्ट लीडर टिप्पणियाँ होंगी ताकि प्रशिक्षण का प्रभाव लंबे समय तक कायम रहे।
“सोलर सखी” से बेहतर भविष्य की ओर
इस परियोजना की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह सिर्फ एक तकनीकी प्रशिक्षण नहीं—बल्कि सशक्तिकरण, पर्यावरण जागरूकता और स्वायत्त आजीविका का संगम है। ग्राउंड‑लेवल महिलाओं को सौर लाइट असेंबल करना सिखाकर, उन्हें स्थायी रोज़गार की दिशा दी जा रही है।
इस प्रयास से:
घर-घर सौर ऊर्जा पहुँच सकती है,
महिलाओं की सामाजिक मान्यता बढ़ेगी,
स्थानीय स्तर पर पर्यावरण‑स्नेही तकनीकों की स्वीकृति बढ़ेगी।
यह मॉडल भारत की अक्षय ऊर्जा नीति से भी मेल खाता है और शहर के गरीब क्षेत्रों में हरित ऊर्जा को वास्तविकता में बदल सकता है।
निष्कर्ष
परवीन इत्तन, एलिस एमब्रोसिया, सीमा बिबोर्था और आनंद पटेल जैसे प्रतिबद्ध नेतृत्व और मास्टर ट्रेनर टीम ने “सोलर सखी” को सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन बना दिया है। यह पहल महिलाओं को सौर तकनीक में प्रशिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में स्पष्ट संदेश देती है।
7 अगस्त से औपचारिक रूप से शुरू हो रहा यह अभियान, गुरुग्राम से पूरे दिल्ली‑NCR तक फैलकर एक हरित क्रांति की राह तैयार करेगा। इस मॉडल की सफलता भविष्य में और भी नयी जगहों में दोगुनी ताकत से दिखाई देगी