कला के माध्यम से सकारात्मक संदेश
प्रयागराज। चित्रकार सोनाली कसौधन ने अपनी कला के जरिए समाज में प्रेम, धैर्य और सौंदर्य का संदेश फैलाया है। उनका मानना है कि “कला अपने आप में योग है और सौंदर्य ही जीवन का आधार है।” उनकी कला न केवल व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक चेतना को जागृत करने का एक शक्तिशाली साधन भी है। सोनाली का उद्देश्य लोगों के मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न करना और उन्हें जीवन में संतुलन और सौंदर्य की अहमियत समझाना है।
महिलाओं की शक्ति और आत्मविश्वास पर केंद्रित पेंटिंग्स
सोनाली की पेंटिंग्स विशेष रूप से महिलाओं की शक्ति, संवेदनशीलता और आत्मविश्वास को उजागर करती हैं। उनके चित्रकला में यह देखा जा सकता है कि कैसे एक महिला अपने जीवन के विभिन्न संघर्षों का सामना कर सकती है और समाज में अपना स्थान बना सकती है। प्रदर्शनी में ध्यान, आत्मचिंतन और मानसिक संतुलन पर आधारित चित्र भी शामिल हैं, जो दर्शकों को मानसिक शांति और सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित करते हैं।
सोनाली का मानना है कि कला केवल सजावट का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। उन्होंने अपने चित्रों में प्राकृतिक सौंदर्य, मानवीय संवेदनाएँ और आध्यात्मिकता का मेल प्रस्तुत किया है। उनकी कला का हर टुकड़ा एक कहानी कहता है, जो दर्शकों को आत्मचिंतन और प्रेरणा की ओर ले जाता है।
संघर्ष और आत्मबल की मिसाल
सोनाली कहती हैं, “अच्छी चीज़ें देखने से मन में अच्छे विचार आते हैं।” उनका जीवन और कला का सफर संघर्ष और आत्मबल की मिसाल है। कई बार कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी कला को जारी रखा और उसे समाज के लिए एक प्रेरक संदेश बनाने में कामयाबी हासिल की। उनकी यह यात्रा दिखाती है कि कला केवल एक शौक नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक साधन भी हो सकती है।
प्रदर्शनी और समाज पर प्रभाव
हाल ही में आयोजित प्रदर्शनी में सोनाली के चित्रों ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। प्रदर्शनी में आए लोग उनकी पेंटिंग्स को देखकर गहराई से प्रभावित हुए। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर आयु वर्ग के लोग उनके काम से प्रेरित हुए। प्रदर्शनी का मकसद सिर्फ कला का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि लोगों के मन में सौंदर्य, प्रेम और सहानुभूति का संचार करना भी था।
सोनाली का यह प्रयास यह संदेश देता है कि समाज में कला के माध्यम से प्रेम, सौंदर्य और सकारात्मक सोच का प्रसार संभव है। उनकी कला समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है, और आने वाले समय में उनके कार्य और अधिक लोगों तक प्रेरणा पहुँचाने का माध्यम बन सकते हैं।
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