राकेश जैन
आरोन। नगर में विराजमान मुनि श्री 108 दुर्लभ सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में जैन समाज द्वारा सुगंध दशमी पर्व का भव्य आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर नगर में एक विशाल जुलूस निकाला गया और सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मुनि श्री का प्रवचन: संयमित जीवन की प्रासंगिकता
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री दुर्लभ सागर जी महाराज ने “उत्तम संयम धर्म” विषय पर प्रवचन दिया। उन्होंने कहा, “आधुनिक समय में मनुष्य असंयमित भोजन के कारण अशांत जीवन जी रहा है। पिज़्ज़ा, बर्गर और मांसाहार जैसे अशुद्ध आहार से न केवल शरीर अपितु मन भी अशुद्ध हो गया है। संयम का तात्पर्य इंद्रियों और मन पर नियंत्रण से है, जिसे छोटे-छोटे नियमों के पालन से भी आत्मसात किया जा सकता है।”
आयोजन में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम के पुण्यार्जक सुरेश चंद सनी नारद परिवार, प्रमोद कुमार, पवन कुमार और रमेश वरसत परिवार रहे। इस अवसर पर समाज अध्यक्ष श्री विजय कुमार डोडिया, चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष श्री मिंटू लाल जैन बाखर, श्री नरेश चंद सहित संपूर्ण दिगंबर जैन समाज उपस्थित रहा।
सामाजिक महत्व और आध्यात्मिक संदेश
यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि समाज को संयम और आत्मानुशासन का महत्वपूर्ण संदेश भी दे गया। मुनि श्री के प्रवचन ने उपस्थित जनसमूह को शुद्ध आहार और संयमित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी।
एक सार्थक पहल
सुगंध दशमी का यह आयोजन जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं और सामाजिक एकता का प्रतीक रहा। मुनि श्री के मार्गदर्शन में दिया गया संदेश आधुनिक जीवनशैली में संयम और स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करता है, जो सभी के लिए अनुकरणीय है।
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