प्रयागराज संगम नगरी माघ मेले के पांचवे प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर बुधवार को शाम तक करीब 5 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसी के साथ माघी पूर्णिमा से संगम की रेती पर एक माह से चल रहे कल्पवास का भी समापन हो गया। कल्पवासी शिविरों में हवन–पूजन के साथ ही साथ भंडारे का भी आयोजन होता रहा। कल्पवासी नम आंखों के साथ अनुष्ठान के बाद अगले बरस आने का संकल्प लेकर विदा होना शुरू हो गए हैं।
17 जनवरी से पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ हुई थी कल्पवास की शुरुआत
माघी पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने संगम की ओर भोर से ही आना शुरू हो गए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान से पूरे माघ मास के स्नान का फल मिलता है।
इंडियन काउंसिल फॉर एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज (आईकास) की प्रयागराज चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. गीता त्रिपाठी ने बताया कि
पूर्णिमा की तिथि 15 फरवरी की रात 9:12 से लेकर 16 फरवरी की रात 10:09 पर तक है, जिससे पूरे दिन 16 फरवरी को श्रद्धालुओं को स्नान का पुण्य लाभ मिलेगा। पूर्णिमा पर उदया तिथि में ब्राह्म मुहूर्त से स्नान दान शुरू हो गया है। आज के दिन गुरुदेव वृहस्पति और सूर्य दोनों एक साथ कुंभ राशि में संचरण करेगे। इसलिए माघी पूर्णिमा पर आदित्य योग बन रहा है, जिसमें स्नान पर्व की शुभता में वृद्धि होगी
200 सीसीटीवी कैमरे हो रही निगरानी
माघ मेला प्रशासन ने भी पांचवें स्नान पर्व को लेकर व्यापक रूप से तैयारी की है। संगम तट पर बनाए गए 6 किलोमीटर लंबे स्नान घाटों पर खास इंतजाम किए गए हैं। घाटों पर जल पुलिस और गोताखोर तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही मेले की सभी 16 इंट्री गेटों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कोविड के संक्रमण के मद्देनजर थर्मल स्क्रीनिंग कराई जा रही है और कोविड टेस्ट भी कराया जा रहा है। माघ मेले में लोगों को वैक्सीन भी लगाई जा रही है। माघ मेले की सुरक्षा 200 सीसीटीवी कैमरे की निगरानी की जाएगी। इसके साथ ही साथ मेले में बनाए गए थानों ,चौकियों और वाच टावर से भी लगातार निगरानी रखी जा रही है।
एसपी माघ मेजा राजीव नारायण त्रिपाठी ने बताया कि 12 बजे तक माघ मेले में 3 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। अभी देर शाम तक यह सिलसिला चलता रहेगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
जानिए माघ पूर्णिमा का महत्व
डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी बताती हैं कि जो साधक माघ मास में संगम नदी के किनारे रहकर व्रत और संयम के साथ स्नान-ध्यान करते हैं और माघ पूर्णिमा के दिन अपने कल्पवास की परंपरा को पूर्ण करते हैं, उनके लिए माघ पूर्णिमा बहुत ही फलदायी होती है।
मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के पावन दिन श्री हरि विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है। माघ मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र और सिंह राशि में स्थित होता है। मघा नक्षत्र होने पर इस तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है।
माघी पूर्णिमा पर देवता भी गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं, इसलिए माघ मास की पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना गया है।