ग्राम नौगांवा की झुझारू महीला कृषक श्रीमती शान्ति खशाल ने कर दिया है यंत्रीकरण में विकासखण्ड के कृषकों के लिए प्रेरणादायी बन गये।
झाबुआ , मेघनगर क्षेत्र में उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग ने आसान की एक महीला की किसानी एक तरफ श्रम एवं समय की बचत दुसरी तरफ उत्पादन और आमदनी में इजाफा मेघनगर विकासखण्ड क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य होकर अच्छी पारम्परीक खेती किसानी करने वाले क्षेत्र के रूप जाना जाता है खेती किसानी बहुत ही मेहनती काम होकर श्रम की बहुत अधिक आवश्कता होती है जब खेती किसानी में कृषक के पास तमान कृषि संसाधन हो तो किसानी करने में रूचि आने लगती है। विभिन्न प्रकार के राज्य एवं संभागस्तरीय एक्जीविसन मेले एवं फेयर के माध्यम से किसानों में जागरूकता आने लगी है विभिन्न प्रकार के नवाचारो के माध्यम से विकासखण्ड के कृषक खेती बाली की उन्नत तकनीकी से जुड़ने लगे है सीमित संसाधनो को और विस्तृत करने में प्रयास किया जा रहा है। यंत्रीकरण पर जोर दिया जा रहा है इसी क्रम में मेघनगर विकासखण्ड से 8 किलोमिटर दुर स्थित ग्राम नौगांवा की शुझारू महीला कृषक श्रीमती शान्ति-खुशाल ने कर दिया है यंत्रीकरण
में विकासखण्ड के कृषको के लिए प्रेरणादायी बन गये। खेती किसानी में मेघनगर विकासखण्ड झाबुआ जिले का अग्रणी विकासखण्ड है। यहाँ की प्रमुख फसलें सोयाबीन, कपास, मक्का, उड़द, अरहर, मूंग तथा रबी में गेंहू व चना मुख्य रूप से उगाई जाती है। मेघनगर विकास खण्ड में सबसे अधिक क्षेत्रफल में सोयाबीन लगाया जाता है। वहीं मध्य प्रदेश सोया प्रदेश के नाम से जाना जाता है। सोयाबीन देश की मुख्य तिलहन फसल है। आज सोयाबीन में नई किस्मों एवं नई विधियो और तकनिको के विकास से सोयाबीन के क्षेत्र व उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है।
व्यक्तिगत परिचय – श्रीमती शान्ति सुशाल विकासखण्ड मेघनगर के ग्राम नौगांवा में उमरदा फलीये में निवास करती है वे ज्यादा पढे लिखे नहीं है वे एक ग्रहणी है साथ ही झुझारू कृषक भी वे खेती के सभी काम कर लेती है उनके खेत पर एक नलकुप तथा एक कुआ है उनकी जमीन पूर्णतः सिचिंत है। घर पर दो भैंस एवं उनके दो पाढे तथा इन्टरक्राप कल्टीवेशन हेतु दो बैल भी है। उनके परिवार में पति, सास-ससुर एवं एक लड़का तथा एक लड़की है।
प्रोफाईल ग्राम नौगांवा मेघनगर विकासखण्ड मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, “यहां के परिश्रमी एवं झुझारु महीला कृषक श्रीमती शान्ति सुशाल जिनके पति टीचर होकर कृषि में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे जिस कारण खेती करने में काफी कठीनाईयो का सामना करना पडता था। शुरूआत खेती किसानी से ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता था क्योकि कृषि मजदुरो पर निर्भर रह गई थी। खर्च काट कर संतुष्टि भरी आमदनी प्राप्त नही हो रही थी परन्तु श्रीमती शान्ति ने हार नहीं मानी उन्होंने खुद घरेलू कार्यों के साथ-साथ कृषि कार्य करने की ठानी शुरुआत में बड़ी कठीनाईयों का सामना करना पडा परन्तु आत्मा परियोजना के अधिकारीयो एवं कृषि विभाग के अधिकारीयों के सतत् मार्गदर्शन में रहकर कृषि की नई तकनीकी जानी श्रीमती शान्ति देवल ने कृषक सेमीनार कृषक संगोष्ठि एवं मेली से प्राप्त ज्ञान से अपने यहा रोटावेटर कृषि विभाग से 30 हजार अनुदान पर प्राप्त किया तथा उसका उपयोग अपने खेत में किया जिससे उनका समय एवं श्रम की बचत हुई तथा तथा उससे प्रेरणा प्राप्त कर अन्य कृषि में यंत्रीकरण को बढ़ावा दिया जिससे उनका समय एवं श्रम की बचत हुई और कृषि कार्य आसानी से करने लगी जिससे उत्पादन में बड़ोतरी हुई तथा अपने जीवन स्तर को बढाया। इंटरवेन्शन :- कृषि विभाग एवं आत्मा के मैदानी अमले ने तकनीकी सलाह दी की खेती बाड़ी के कामो में कृषि में यंत्रीकरण अपनाकर रफ्तार लाई जा सकती है श्रीमती शान्ति के पति स्थानिय स्कूल में टीचर है उन्होने कृषि की नई नई तकनीकी जानी तथा उसका उपयोग अपनी खेती में की उन्होंने गहरी जुताई व रेज्ड बेड तकनीकी अपनाकर खेती को वैज्ञानीक तकनीकी की राह पाई जिससे उनका विश्वास वैज्ञानीक खेती व विभाग की योजनाओं पर बड़ता गया और नई नई तकनीकीयो को अपनाते गये और स्वयं को कृषि में उन्नत बनाते गये उसके बाद रोटावेटार के माध्यम से अपने खत में भूमि की तैयारी के सारे काम जैसे खादो को मिलाना इत्यादि कार्य एक साथ पूरे हो जाते है इससे धन, श्रम और समय सभी की बचत होने लगी है और काम भी चोखा हो जाता है। साथ उत्पादन एवं आमदनी में इजाफा होता है कृषि में यंत्रों के नये नये आयाम ने कृषि कार्यों में सुलभता आई जिससे घण्टो के काम चन्द मिनटो में पुरे हो जाता है समय का सदउपयोग अन्य कृषि कार्यों में लगा कर निष्चित ही आमदनी बड़ाया जा सकता है। श्रीमती शान्ति जी अतिरिक्त आय का रास्ता भी खुला – महीला काष्तकार श्रीमती शान्ति बताते है कि यंत्रो की वजह से मक्का और गेहूं की फसल की कटाई करते है तथा कटाई के साथ थ्रेसिंग भी कर लेते है। इससे लागत, श्रम एवं समय में भी बचत होती है इसके साथ-साथ ही बाकी समय में वे अपने यंत्रो का उपयोग अन्य किसानों के खेतो में जुताई, कटाई व गहाई कार्यों में करते है इससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाति है। अपने कामकाज में सहूलियत के साथ ही अब उन्हे रोजगार के नवीन अवसर भी मिले है।
यंत्रो से अतिरिक्त आय की गणना-
रोटावेटर-किराए से शुद्ध आय 40000 45000 हजार प्रति सीजन । कृषक अनुसार रोटावेटर का उपयोग घर के अतिरिक्त किराए पर प्रति सीजन औसतन 70 घण्टे चलता है जिससे 1000 रु. प्रति घण्टे के हिसाब से 70000 रू. आय प्राप्त होती है जिसमें से प्रति घण्टा 5 लीटर डीजल की खपत होती है 70 × 68- 23800 रु. + मजदुरी । इसी तरह कल्टीवेटर थ्रेसर एवं रीपर भी घर के कार्य के अतिरिक्त फालतु समय में किराए पर दिया जाता है जिससे औसतन एक लाख तक की अतिरिक्त आय प्राप्त हो जाती है। प्रेरणा संचार का काम भी कर रही है।
प्रगतिशिल महीला कृषक श्रीमती शान्ति देवल
कृषि में यंत्रीकरण होने से वे तथा उनका परिवार खुश है तथा उत्साहित महीला कृषक ने ठान ली है कि जो भी किसान भाई उनके सम्पर्क में आएंगे, उन्हें सरकारी योजनाओ के बारे में तथा यंत्रीकरण के फायदों के बारे में जरूर बताएंगे।