बीजिंग, 4 सितंबर 2025
चीन ने अपनी सबसे बड़ी सैन्य परेड में ऐसे हथियार दिखाए, जिनसे पूरी दुनिया का ध्यान खिंच गया। पहली बार बीजिंग ने अपनी परमाणु त्रिमूर्ति (Nuclear Triad) यानी ज़मीन, समुद्र और आसमान से दागे जाने वाले परमाणु हथियारों को सार्वजनिक रूप से पेश किया। इस दौरान DF-5C अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल, हाई-पावर लेजर सिस्टम और अंडरवॉटर ड्रोन भी प्रदर्शित किए गए।
DF-5C मिसाइल – चीन का परमाणु ‘सुपर हथियार’
- मारक क्षमता: DF-5C की रेंज 20,000 किलोमीटर से अधिक मानी जा रही है। यानी यह किसी भी महाद्वीप तक पहुँच सकती है।
- MIRV तकनीक: इसमें एक साथ कई वारहेड लगाए जा सकते हैं, जो अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं।
- वैश्विक असर: यह मिसाइल अमेरिका और यूरोप तक मार कर सकती है, जिस कारण इसे चीन का रणनीतिक ‘गेम-चेंजर’ माना जा रहा है।
परमाणु त्रिमूर्ति का प्रदर्शन
चीन ने पहली बार खुलकर दिखाया कि उसके पास तीनों तरह की परमाणु क्षमता मौजूद है:
- भूमि आधारित मिसाइलें – DF-5C और मोबाइल लॉन्चर से दागी जाने वाली DF-31 सीरीज़।
- समुद्र आधारित हथियार – JL-3 पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली मिसाइल।
- वायु आधारित हथियार – परमाणु क्षमता वाले एयर-लॉन्च्ड मिसाइल सिस्टम।
यह प्रदर्शन साफ इशारा करता है कि चीन अब खुद को अमेरिका और रूस जैसी परमाणु महाशक्तियों की बराबरी में खड़ा करना चाहता है।
लेजर हथियार और ड्रोन – भविष्य की जंग का संकेत
परेड में चीन ने केवल पारंपरिक मिसाइलें ही नहीं, बल्कि भविष्य की युद्ध प्रणाली के संकेत भी दिए।
- लेजर हथियार (LY-1 सिस्टम): कहा जा रहा है कि यह ड्रोन और मिसाइल के सेंसर को अंधा कर सकता है।
- अंडरवॉटर ड्रोन: दो बड़े ड्रोन भी दिखाए गए जो समुद्र के भीतर निगरानी, माइन बिछाने और दुश्मन की पनडुब्बियों पर नज़र रखने में सक्षम बताए जा रहे हैं।
- रोबोटिक हथियार: कुछ रिपोर्ट्स में “रोबोटिक वॉर मशीनों” की झलक भी परेड में देखने को मिली।
क्यों बढ़ीं दुनिया की चिंताएँ?
- अमेरिका और उसके सहयोगी देश लंबे समय से चीन के सैन्य विस्तार पर नज़र रखे हुए हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी शक्ति का सार्वजनिक प्रदर्शन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकता है।
- खासतौर पर ताइवान और दक्षिण चीन सागर के मामले में यह शक्ति-प्रदर्शन सीधा संदेश माना जा रहा है।
चीन का संदेश क्या है?
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस अवसर पर कहा,
“चीनी पुनरुद्धार को कोई नहीं रोक सकता।”
यह बयान साफ दिखाता है कि चीन अब वैश्विक मंच पर केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सैन्य ताकत के रूप में भी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
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