अमेरिका और भारत के बीच व्यापार हमेशा से मजबूत रहा है, लेकिन अब इसमें बड़ा झटका लग सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 50 फीसदी आयात शुल्क लगाने का फैसला किया है। यह टैरिफ पहले से लग रहे 25% शुल्क के ऊपर अतिरिक्त 25% के रूप में जोड़ा गया है, जो 27 अगस्त से लागू हो गया है।
इस टैरिफ से भारत के कई प्रमुख उद्योग सीधे प्रभावित होंगे, खासकर कपड़ा, रत्न-आभूषण, कृषि और चमड़ा उद्योग। दूसरी ओर, कुछ सेक्टर्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा को फिलहाल राहत मिली है। इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि यह टैरिफ क्या है, क्यों लगाया गया, और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ेगा।
टैरिफ क्या होता है और यह क्यों लगाया गया?
टैरिफ एक तरह का टैक्स होता है जो एक देश दूसरे देश से आयात किए गए सामान पर लगाता है। इसका मकसद आमतौर पर दो होता है, घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देना और व्यापार घाटा कम करना।
डोनाल्ड ट्रंप की नीति “अमेरिका फर्स्ट” के तहत वह चाहते हैं कि अमेरिका दूसरे देशों से कम सामान खरीदे और खुद का उत्पादन बढ़ाए। इसी सोच के तहत भारत समेत कई देशों पर यह भारी टैरिफ लगाया गया है।
भारत के किन-किन सेक्टर्स को पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
- कपड़ा उद्योग (Textile)
भारत का कपड़ा निर्यात अमेरिका पर बहुत ज्यादा निर्भर है। भारत से निर्यात होने वाला करीब 28% कपड़ा अमेरिका को जाता है, जिसकी सालाना वैल्यू करीब 10.3 अरब डॉलर है।
अब जब इन पर 50% टैक्स लग जाएगा, तो भारतीय कपड़े अमेरिका में काफी महंगे हो जाएंगे। ऐसे में अमेरिकी कंपनियां और ग्राहक वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे देशों से सामान खरीद सकते हैं, जिन पर टैरिफ 20% से भी कम है। इससे भारत का कपड़ा उद्योग अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है।
- रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery)
भारत हर साल अमेरिका को करीब 12 अरब डॉलर के रत्न और आभूषण निर्यात करता है। अब तक इन पर 0% से 13% तक का टैरिफ था, लेकिन अब यह बढ़कर सीधा 50% हो जाएगा।
इससे अमेरिका में भारतीय ज्वैलरी की मांग घट सकती है और छोटे कारीगरों व निर्यातकों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
- कृषि उत्पाद (Agricultural Products)
भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर से ज्यादा के कृषि उत्पाद भेजता है, जिनमें चावल, मछली, मसाले, फल-सब्जियां और हर्बल उत्पाद शामिल हैं।
विशेष रूप से सीफूड इंडस्ट्री पर इसका सबसे बड़ा असर पड़ने की आशंका है क्योंकि भारत मरीन उत्पादों का बड़ा निर्यातक है। टैरिफ बढ़ने से यह उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और मांग घट सकती है।
- चमड़ा और फुटवियर, केमिकल और मशीनरी
इन सेक्टर्स में भी भारत अमेरिका को अरबों डॉलर का निर्यात करता है:
- चमड़ा और फुटवियर: $1.18 अरब
- केमिकल्स: $2.34 अरब
- इलेक्ट्रिक मशीनरी: $9 अरब
इन क्षेत्रों पर भी नए टैरिफ का नकारात्मक असर पड़ेगा, जिससे उत्पादन और रोज़गार पर भी असर आने की संभावना है।
किन सेक्टर्स को राहत मिल सकती है?
- इलेक्ट्रॉनिक्स
भारत पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका को स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट्स का बड़ा निर्यातक बन गया है। अमेरिकी कानून के अनुसार, इस सेक्टर पर टैरिफ लगाने के लिए उन्हें सेक्शन 232 की समीक्षा करनी पड़ेगी, जो फिलहाल नहीं हुई है।
इसका मतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को अब तक इस टैरिफ से राहत मिली हुई है।
- फार्मा सेक्टर
भारत की फार्मा इंडस्ट्री भी अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करती है, जिसकी वैल्यू करीब $10.5 अरब है।
ट्रंप प्रशासन ने इस सेक्टर को टैरिफ से फिलहाल बाहर रखा है। यह राहत अस्थायी हो सकती है, लेकिन अभी के लिए यह बड़ी राहत है।
जानकारों की राय क्या कहती है?
किशोर ओस्तवाल (सीएमडी, सीएनआई इन्फोएक्सचेंज)
ओस्तवाल का कहना है कि अमेरिका भारत से व्यापार करना चाहता है, लेकिन टैरिफ के ज़रिए दबाव बनाना चाहता है। उनका मानना है कि करीब 50-55% भारतीय निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन बाकी सेक्टर्स को सतर्क रहने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में पहले से ही महंगाई ज्यादा है। अगर भारत के सस्ते उत्पाद भी अब महंगे हो गए, तो वहां की जनता में विरोध बढ़ सकता है।
अजय केडिया (डायरेक्टर, केडिया सिक्योरिटीज)
केडिया का मानना है कि इस टैरिफ के कारण भारत के कई उत्पादों के निर्यात में 40-50% तक गिरावट आ सकती है। खासकर ज्वैलरी और रत्न क्षेत्र में यह गिरावट गंभीर हो सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के लिए भारत के उत्पादों का विकल्प खोजना इतना आसान नहीं होगा, जिससे वहां महंगाई और बढ़ सकती है।
भारत सरकार की तैयारी क्या है?
सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह आपात ऋण गारंटी योजना जैसी योजनाएं लागू कर सकती है ताकि निर्यातकों को राहत दी जा सके।
साथ ही, भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) और बार्टर सिस्टम जैसे विकल्पों पर भी विचार कर रहा है जिससे अमेरिका पर व्यापारिक निर्भरता कम की जा सके।
क्या हो सकता है आगे?
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि वैश्विक व्यापार में राजनीतिक फैसले कितनी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। भारत को इस चुनौती को अवसर में बदलने की जरूरत है, नई मार्केट्स तलाशने की, इनोवेशन पर ध्यान देने की और घरेलू मांग बढ़ाने की।
यह संकट एक चेतावनी है कि सिर्फ एक देश पर अत्यधिक निर्भर रहना कितनी बड़ी जोखिम हो सकता है। भारत को अब निर्यात के नए रास्ते, मजबूत घरेलू उद्योग और लचीली व्यापार नीति की ओर बढ़ना होगा।

