अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) लगाए थे। इनमें भारत भी शामिल था। इन टैरिफ का उद्देश्य था अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करना। लेकिन हाल ही में अमेरिका की संघीय अपीलीय अदालत ने ट्रंप के इस फैसले को अवैध करार दिया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप ने जो टैरिफ लगाए थे, वे संविधान के तहत नहीं थे और उन्हें लागू करने का अधिकार राष्ट्रपति को नहीं था। यह फैसला अमेरिका के व्यापार नीति पर एक बड़ा असर डाल सकता है, और इस फैसले का भारत जैसे देशों पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। तो आइए जानते हैं कि यह फैसला क्यों अहम है और इससे भारत को कितनी राहत मिल सकती है।
संघीय अदालत का फैसला:
अमेरिका की संघीय अपीलीय अदालत ने ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को अवैध करार दिया है। अदालत का कहना है कि राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर आयात शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है। अमेरिकी संविधान के अनुसार, टैरिफ लगाने का अधिकार सिर्फ कांग्रेस (संसद) के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास। अदालत ने यह भी कहा कि ट्रंप ने जिस कानून का हवाला देते हुए टैरिफ लगाए थे, वह उन्हें यह अधिकार नहीं देता।
इस फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। हालांकि, अदालत ने यह भी साफ किया कि यह फैसला 14 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। इसका मतलब है कि अगले कुछ हफ्तों तक ट्रंप के टैरिफ लागू रहेंगे।
टैरिफ का वैश्विक प्रभाव:
ट्रंप ने अपने व्यापार नीति के तहत दुनिया भर के कई देशों पर टैरिफ लगाए थे। इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और अमेरिकी कंपनियों को घरेलू बाजार में मजबूती देना था। इनमें से कुछ टैरिफ 10% से लेकर 50% तक थे, जो विशेष रूप से भारत, ब्राजील और अन्य देशों को प्रभावित करते थे।
अदालत के फैसले ने इन देशों के लिए राहत की उम्मीदें पैदा की हैं, क्योंकि अगर यह फैसला कायम रहता है, तो इन देशों को उन उच्च टैरिफ से छुटकारा मिल सकता है। भारत के निर्यातक, जो अमेरिकी बाजार में अपने उत्पाद भेजते थे, उन्हें अब राहत मिल सकती है, खासकर उन उत्पादों पर, जिन पर 50% तक टैरिफ लगाया गया था।
भारत के लिए राहत:
भारत के लिए यह फैसला खासा महत्वपूर्ण है, क्योंकि ट्रंप के दौरान भारत पर काफी उच्च टैरिफ लगाए गए थे। उदाहरण के लिए, भारत के आयातित उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाया गया था, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ। अदालत के फैसले का भारत पर सकारात्मक असर हो सकता है, लेकिन यह राहत पूरी तरह से नहीं होगी।
अगर सुप्रीम कोर्ट भी इस फैसले को कायम रखता है, तो भारत को 25% तक के आयात शुल्क में राहत मिल सकती है, लेकिन कुछ उत्पादों पर ट्रंप के द्वारा लगाए गए जुर्माने के कारण ये राहत सीमित रहेगी। भारत को जो टैरिफ 25% तक थे, वे बने रह सकते हैं, क्योंकि ये शुल्क खासकर रूस से तेल आयात के लिए लगाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का असर:
अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भेजा जाएगा, जहां अदालत को यह फैसला करना है कि क्या राष्ट्रपति को इस तरह के टैरिफ लगाने का अधिकार था। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह केवल अमेरिका की व्यापार नीति पर असर नहीं डालेगा, बल्कि अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी देखा जाएगा कि क्या ट्रंप प्रशासन ने संविधान का उल्लंघन किया है और क्या उसे इस तरह के आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार था। इस मामले की सुनवाई के बाद, अगर अदालत ट्रंप के टैरिफ को रद्द करती है, तो अमेरिका के व्यापार साझेदार देशों को राहत मिल सकती है।
ट्रंप के व्यापार नीति का अंत:
अदालत का फैसला ट्रंप की व्यापार नीति को एक झटका हो सकता है। ट्रंप ने अपनी कार्यकाल के दौरान “अमेरिका फर्स्ट” की नीति अपनाई थी, जिसमें अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने के लिए कड़े कदम उठाए गए थे। इसके तहत उसने कई देशों पर टैरिफ लगाए थे और इसके परिणामस्वरूप कई देशों के उत्पाद महंगे हो गए थे।
यह फैसला ट्रंप के व्यापार दृष्टिकोण पर एक बड़ी चुनौती है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को कायम रखता है, तो यह ट्रंप की व्यापार नीति को एक महत्वपूर्ण धक्का होगा। इसके साथ ही, यह भी सवाल उठता है कि क्या भविष्य में राष्ट्रपति को व्यापार नीति के लिए इतने व्यापक अधिकार दिए जा सकते हैं या नहीं।
भारत को मिलेगा समय:
भारत को इस फैसले के बाद थोड़ा समय मिलेगा, क्योंकि अदालत के आदेश के अनुसार, 14 अक्टूबर तक ट्रंप के टैरिफ लागू रहेंगे। इस दौरान भारत और अन्य देशों के व्यापारियों को इस मामले का हल मिलने की उम्मीद है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर जल्दी फैसला करता है, तो इससे भारत के व्यापारिक हालात में सुधार हो सकता है।
अंतिम विचार:
संघीय अदालत का फैसला ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला अमेरिका की व्यापार नीति को नया आकार दे सकता है और विश्व अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ेगा। हालांकि, भारत को तुरंत कोई राहत नहीं मिलेगी, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के टैरिफ को रद्द करता है, तो भारत के निर्यातकों को फायदा हो सकता है।
इस फैसले से यह भी साफ हो गया है कि व्यापार नीति में अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है और राष्ट्रपति के अधिकारों का सीमित होना जरूरी है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या फैसला लेता है और भविष्य में अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में क्या बदलाव आते हैं।
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