मटेरियल समान में लगातार वृद्धि से कैसे होंगे गांव के विकास -अशोक देवांगन-आंचलिक ख़बरें-हेमंत वर्मा

Aanchalik Khabre
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▶️एस ओ आर रेट बढ़ने के बाद भी सरपंचों को नहीं मिल रहा राहत

▶️ राज्य सरकार बढ़ती हुई महंगाई पर करे नियंत्रण

राजनांदगांव । मटेरियल सामान हो रहे लगातार वृद्धि से गांव के विकास संभव नहीं है, साथ ही साथ शासन के द्वारा एस ओ आर रेट दर बढ़ाने के बाद भी सरपंचों को उसका राहत नहीं मिल रहा है, छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार बढ़ती हुई महंगाई पर रोक लगाने के लिए नियंत्रण करे जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 08 के जिला पंचायत सदस्य व संचार सकर्म विभाग के सभापति तथा आबकारी विभाग समिति के सलाहकार अशोक देवांगन ने कहा कि बाजार में मटेरियल सामान जैसे कि सीमेंट, छड़, रेती, गिट्टी व ईट आसमान छू रहा है, तो सरपंचों को एस ओ आर रेट बढ़ने से कोई राहत नहीं हो रहा है, सरपंच कर्ज में डूब रहा है, राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत जिले में करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य कराए गए हैं, पर भुगतान में देरी के चलते कई कार्य अधूरे पड़े हैं, वहीं जिन कार्यों को सरपंचों ने बाजार से उधार में मटेरियल लेकर पूरा करा दिया है, उसका भुगतान अटक गया है, जिलेभर में लगभग 20 करोड़ रुपए मटेरियल का भुगतान शेष है, इस चक्कर में सरपंचों को अब स्वीकृत हुए नए कार्यों के लिए मटेरियल नहीं मिल पा रहा है, कर्ज में दबे सरपंच अब मनरेगा के कार्यों को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, लगातार भुगतान की मांग करते आ रहे हैं, पर लगभग 7 से 8 माह हो गए हैं, पंचायतों के खाते में पेंडिंग राशि जारी ही नहीं हो रही है, मनरेगा के अंतर्गत जिले में कराए गए कई निर्माण कार्यों का मूल्यांकन हो चुका है, सत्यापन हो चुका है, पर राज्य सरकार से इन कार्यों को भुगतान नहीं होने से पंचायतें कर्ज में डूब गई है।
श्री देवांगन आगे कहा कि एक – एक पंचायतों के पास 5 से 6 लाख रुपए तक के मटेरियल का भुगतान शेष है, स्थिति यह है, कि अब मटेरियल सप्लाई करने वाले सीधे सरपंचों के घर पहुंच रहे हैं, और भुगतान के लिए समय पूछ रहे हैं, मजबूर सरपंच सप्लायरों को समय भी नहीं बता पा रहे हैं, क्योंकि नवंबर 2021 के बाद से पेंडिंग राशि का भुगतान ही नहीं हुआ है, जबकि सरपंचों को निर्माण कार्यों को जारी रखने का आदेश जारी हो रहा है, 4 हजार कार्य स्वीकृत हैं, जिले में मनरेगा के तहत 4 हजार कार्य स्वीकृत हैं, इनमें लगभग 1 लाख 50 हजार मजदूर कार्य कर रहे हैं, मजदूरी का भुगतान तो 15-15 दिन के भीतर हो जा रहा है, पर मटेरियल की राशि पेंडिंग होने से कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं, पंचायतों में 20 से 30 लाख रुपए तक के कार्य स्वीकृत किए गए हैं, पर सरपंच पहले से ही उधार में होने की वजह से रिस्क उठाने से कतरा रहे हैं, सरपंचों की ओर से जनपद और जिला पंचायत स्तर पर लगातार पत्राचार किया जा रहा है, पंचायतें अपनी आर्थिक स्थिति बता रहीं हैं, इसके बाद भी शासन स्तर से भुगतान नहीं किया जा रहा है ।

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