नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम सहित अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को 19 सितंबर तक स्थगित कर दिया है। अदालत की बेंच ने कहा कि उन्हें केस फाइलें हाल ही में मिली हैं, इसलिए मामले को विस्तार से पढ़ने और समझने के लिए समय चाहिए।
मामला क्या है?
यह मामला साल 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ा है। आरोपियों पर गंभीर अपराधों और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जा रही है। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि इन आरोपियों ने प्रदर्शन और भाषणों के जरिए दंगों की साजिश में भूमिका निभाई थी।
हाई कोर्ट का फैसला
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने इन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि जब तक आरोपों का पूरी तरह निस्तारण नहीं होता, ऐसे मामलों में जमानत देना उचित नहीं है। हाई कोर्ट का मानना था कि प्रदर्शन और साजिश के बीच संबंध दिखाने वाले साक्ष्य मामले को गंभीर बनाते हैं।
आरोपियों की दलील
- आरोपी पक्ष का कहना है कि वे पाँच साल से अधिक समय से जेल में हैं और मुकदमे की सुनवाई लंबी खिंच रही है।
- उनका कहना है कि उनके खिलाफ सीधे सबूत मौजूद नहीं हैं, केवल भाषणों और गतिविधियों की व्याख्या के आधार पर आरोप लगाए गए हैं।
- उन्होंने संविधान में प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता और त्वरित न्याय के अधिकार का हवाला भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले को गहराई से समझने के बाद ही जमानत याचिकाओं पर निर्णय लेगा। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 19 सितंबर 2025 तय की है।
आगे क्या होगा?
- 19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में अभियोजन और बचाव पक्ष अपने-अपने तर्क रखेंगे।
- सुनवाई के दौरान यह देखा जाएगा कि आरोपियों के खिलाफ पेश किए गए सबूत कितने ठोस हैं।
- अदालत का फैसला यह तय करेगा कि लंबे समय से जेल में बंद इन आरोपियों को राहत मिलेगी या नहीं।
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