मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार एवं माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश मोहम्मद सैय्यदुल अबरार की अध्यक्षता में न्यायालय परिसर झाबुआ में आयीं हुई महिलाओं एवं न्यायालय स्टाॅफ की महिलाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस दिनांक 8 मार्च-2022 को महिलाओं एवं बालिकाओं के अधिकारों के संबंध में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन माँ सरस्वती के प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित, माल्यार्पण एवं मंच पर आसीन महिलाओं का सम्मान कर किया गया। शिविर को संबोधित करते हुये माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश मोहम्मद सैय्यदुल अबरार ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे समाज की मूल ईकाई महिलाऐं है। महिला परिवार का निर्माण करती है एवं परिवार का घर बनाती है और घरों को समाज बनाती है इसलिए हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि महिलाओं के योगदान लिए बिना समाज मौजूद रहेगा। हम सभी जानते है कि शिक्षा के बिना कोई भी विकास संभव नहीं है बच्चों की पहली और सबसे अच्छी स्कूल उनकी मां है। शुरूआत से वह एक महिला ही है जो आपको सिखाती है। एक अच्छा स्वास्थ्य और स्तर समाज अपने आप उपलब्ध नहीं होता है। इसे महिलाओं के मजबूत हाथों की जरूरत है। सशक्त समाज बनाने में महिलाओं का बड़ा योगदान है। भारतीय महिलाऐं हमेशा देश और शक्ति का प्रतीक रहीं है। मैं उन सभी महिलाओं को प्रणाम करता हूं जो हमारे समाज के आधार स्तंभ है। उन्होंने कहा कि सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की प्राप्ति तभी संभव है जब महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके जिससे पुरूषों की तरह वह भी बिना भय के स्वच्छन्द रूप से कहीं भी आ जा सकें साथ ही अपने-अपने बच्चों को अच्छी और उच्च शिक्षा प्रदान कराये जाने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश महेन्द्र सिंह तोमर ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में लैंगिक असमानता और पुरूष प्रधान समाज में महिलाऐं पुरूषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रहीं। पुरूष और महिला को बराबरी पर लाने के लिए महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिए सरकार द्वारा कई संवैधानिक कानूनी अधिकार बनाये और लागू किये गये है। शिविर में न्यायिक मजिस्टेªट सुश्री प्रतिभा वास्कले द्वारा कन्या भू्रण हत्या, बालिकाओं के साथ भेदभाव, बालिकाओं के जन्म और शिक्षा के अधिकार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा की जाने वाली निःशुल्क कानूनी सहायता आदि की विस्तार पूर्वक जानकरी दी। अभिभाषक संघ झाबुआ उपाध्यक्ष अर्चना राठौर ने भी अपने विचार प्रकट करते हुये कहा कि आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूक है जिसके परिणाम स्वरूप कई स्वयं-सेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे। कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट एवं दहेज प्रतिषेध अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया गया। मंच का संचालन न्यायिक मजिस्टेट तनवी माहेश्वरी ठाकुर द्वारा दिया गया। आभार व्यक्त करते हुये अपर जिला न्यायाधीश/सचिव लीलाधर सोलंकी जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि महिलाऐं जागरूक रहें, महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए भारत सरकार द्वारा आज के दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाने का दिन रखा गया है। इस दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के बिना मानव जीवन का विकास संभव नहीं है, इसलिए आज सभी क्षेत्रों में पुरूषों के बराबर की भागीदारी निभाती है। शिविर में विशेष न्यायाधीश महेन्द्र सिंह तोमर, अपर जिला न्यायाधीश/सचिव लीलाधर सोलंकी, अपर जिला न्यायाधीश संजय चैहान, भरत कुमार व्यास, मुख्य न्यायिक मजिस्टेट नदीम खांन, न्यायिक मजिस्टेट राजकुमार चैहान, हर्ष ठाकुर,प्रतिभा वास्कले, अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दीपक भण्डारी, सचिव शरदचंद्र शुक्ला, जया झाला, वरिष्ठ लिपिक कर्मचारी उषा शर्मा न्यायालयीन महिला एवं पुरूष कर्मचारी एवं महिला पक्षकारगण उपस्थित रहें।