स्वर्ग धाम का निर्माण करने संकल्पित त्यागी जी का संदेश-आँचलिक ख़बरें-रमेश कुमार पाण्डे

News Desk
By News Desk
5 Min Read
sddefault 201

स्वर्ग धाम का निर्माण करने संकल्पित त्यागी जी का संदेश,हो सम्पूर्ण मानव जाति का कल्याण

जिला कटनी – संपूर्ण धरा पर कुछ भी दिखाई देता है और जो नही भी दिखाई देता वह सब पृकृति का ही अंश है और पृकृति को बदलने का साहस हम मानव मे मे तो संभव नही है हा इतना अवश्य है कि यदि मार्ग का चयन पवित्र हो तो पृकृति परिवर्तन के लिये सहयोगी हो जाती है और सकारात्मक दिशा की और ही सारे कार्य होने लग जाते है ऐसा नहीं है कि पृकृति अच्छा न चाहती हो या अच्छा न करती हो सिर्फ मानव ही सब कर रहा है यह हमारा आपका भृम ही है वास्तव में सब कुछ पृकृति के अधीन ही है चाहें वैज्ञानिक की खोज हो या धर्म आध्यात्म की गहराई सब कुछ पृकृति ही है अब हम चिंतन करते है कि हम क्या क्यो और कैसे कोई भी परिवर्तन कर सकते हैं?
वास्तव में मानव मस्तिष्क मे अनोखे अनुभव भरे पङे है लेकिन वे सब अपने अपने स्वारथ पूर्ति के लिए ही निरंतर कार्य करने मे मस्त हैं जबकि हम सब परमात्मा की पृकृति की संतानें हैं और हर कार्य परमात्मा को समर्पित कर करें तो सम्पूर्ण धरा आनंदित हो जायेगी इसमें संसय नही है बस है तो सोच को बदलने की आवश्यकता जैसे हम अपने घर परिवार की ख़ुशी के लिये अपना सर्वस्व समर्पित करके भी खुश होते है बस उसी तरह
वसुधैव कुटुंबकम को चरितार्थ करने हेतु
कुछ महत्वपूर्ण चीज है जो समाज के द्वारा समाज को ही दी जा सकती है जैसे संस्कार
हम समाज से उम्मीदें तो बङी करते है किन्तु हम किसी के लिये कुछ नहीं करते यही बङी समस्या है जो बिलकुल बीज बोने जैसा है जब तक हम अच्छी पहल न करेंगे अच्छा बीज न बोयेगे तब तक मिट्टी कितनी भी अच्छी हो क्या कर लेगी अधिक से अधिक चारा या कोई अन्य वनस्पति से भर जायेगी उच्च ऊर्जा वाली वह भूमि अतः भूमि की उर्वरा शक्ति को भांपते हुए बीज बोने की पानी देने की आवश्यकता तो है ही और निश्चित ही यह कार्य हम मानवों के हिस्से में आया है कि हम समाज के बीच नर्क या स्वर्ग क्या बना रहे हैं या क्या बनाना चाहते है हमारी सोच के अनुरूप ही सारे निर्माण तय होते है वह सोच भी घूम फिर कर सोचे तो पृकृति प्रदत्त ही है जो समय समय पर हमारे मस्तिष्क में प्रवेश करायी जाती है यह बहुत गूढ़ चिंतन है लेकिन इस पर जरा सा भी चिंतन करने वाला अपने सामने एक भरा पूरा अलौकिक शक्ति से परिपूर्ण दृश्य देख सकता है जो सबके लिए संभव न होगा यह उस सर्वशक्तिमान की ही कृपा है जिसे हम अनेकानेक नामों से अपने स्वार्थ के लिए याद करते है और स्वारथ पूर्ति न होने पर उसे यह कर कर अलग कर देते है कि कोई नही है सब कुछ हम ही है या तो हम ही इस भृम को पाल लेते हैं कि हम ही सर्वोच्च सत्ता है किन्तु यही सत्य है कि हम परमात्मा की पवित्र संतानें है इसे हम समझ ले आज ही अभी ही जिससे सिर्फ हमारा ही नही सम्पूर्ण विश्व का कल्याण होगा ही इसमें संदेह नहीं है।
” बस बीज तो अच्छा बोते चलें हम ”
दुनिया का सबसे पवित्र तीर्थ स्वर्ग धाम का निर्माण करने संकल्पित कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी ने अपने हृदय के उद्गार प्रगट करते हुए यह चिंतन रखा जो सम्पूर्ण मानव जाति के हितकर है ।
आऔ संवारे स्वर्ग धरा पर मानव में देवत्व समा जाये ।त्यागी जी
तीर्थ तो खूब है इस संसार मे मूर्ति पूजा करने वालो की भी कमी नहीं है बस यदि कमी है तो सच्चे मन से परमात्मा के कार्य को करने की है हम यह संकल्प लें कि हम जो कुछ भी करें वह जनहित के लिए हो सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ नहीं करेंगे चाहे उससे कितना भी लाभ क्यो न दिखाई दे रहा हो।

Share This Article
Leave a Comment